Hindi, asked by s1282palak24416, 2 months ago

व्यवस्था सिद्धांत के अनुसार एक व्यवस्था और उसकी उप व्यवस्था के बीच पाई जाती है ऑप्शन ए परस्पर अंत किया ऑप्शन भी परस्पर निर्भरता ऑप्शन सी केवल 1 ऑप्शन डी वन और टू​

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Answered by Sasmit257
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Answer:

पशु-पक्षियों से हमें बहुत लाभ होता है गाय भैंस बकरी आदि पशु हमें दूध देते हैं गाय का दूध तो माँ के दूध के

समान होता है मुरगी बतख आदि हमें अंडे देती हैं भेंड़ें हमें ऊन देती हैं जानवरों की खाल से भी कई तरह की

पोशाकें बनती हैं इनके चमड़े से जूते थैले आदि बनते हैं कुछ देशों में चिड़ियों के पंखों से लोग रजाई तकिए

आदि तैयार करते हैं। की दूषित व्यवस्था रिश्वत को प्रोत्साहन देती है। अल्प-वेतन में परिवार का व्यय न चलने पर कभी-कभी मन दुर्बलता उत्पन्न हो जाती है और सरकारी नौकर का ध्यान भी अनौतिक साधन रिश्वत की ओर चला जाता है। वह भली-भाँति जानता है कि रिश्वत लेना पाप है, पाप की कमाई फलती-फूलती नहीं फिर भी विवशता और लाचारी में फँस कर वह पाप कर बैठता है। यदि समाज में सबको जीवनयापन के लिए समान अधिकार प्राप्त हो तो रिश्वत जैसे अनैतिक कर्म को स्थान न मिले। खेद का विषय है कि आज हमारी मनोवृत्ति इतनी दूषित हो गई है कि रिश्वत की कमाई को पूरक-पेशा समझा जाने लगा है। समाज को इस भयंकर बीमारी से बचाना चाहिए।

गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।

गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।

गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।

गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।

गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।चलत राम सब पुर नर नारी ।

गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।चलत राम सब पुर नर नारी ।पुलक पूरि तन भए सुखारी ।।

गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।चलत राम सब पुर नर नारी ।पुलक पूरि तन भए सुखारी ।।बंदि पितर सुर सुकृत सँभारे ।

गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।चलत राम सब पुर नर नारी ।पुलक पूरि तन भए सुखारी ।।बंदि पितर सुर सुकृत सँभारे ।जौं कछु पुन्य प्रभाउ हमारे ।।

गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।चलत राम सब पुर नर नारी ।पुलक पूरि तन भए सुखारी ।।बंदि पितर सुर सुकृत सँभारे ।जौं कछु पुन्य प्रभाउ हमारे ।।तौ सिवधनु मृनाल की नाईं।

गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।चलत राम सब पुर नर नारी ।पुलक पूरि तन भए सुखारी ।।बंदि पितर सुर सुकृत सँभारे ।जौं कछु पुन्य प्रभाउ हमारे ।।तौ सिवधनु मृनाल की नाईं।गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।

गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।चलत राम सब पुर नर नारी ।पुलक पूरि तन भए सुखारी ।।बंदि पितर सुर सुकृत सँभारे ।जौं कछु पुन्य प्रभाउ हमारे ।।तौ सिवधनु मृनाल की नाईं।गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।

  • झलकी भरि भाल कनी जल की, पुट सूखि गए मधुगधर वे
  • पुर तें निकसी रघुबार-बधू, धरि धीर दए, मग में पदे
  • फिरि बूझति हैं, “चलनो अब केतिक, पर्नकुटी करिहों कित है?"
  • तिय की लखि आतुरता पिय की अँखियाँ अति चारु चलीं जल ।
  • 'जल को गए लक्खनु, हैं लरिका परिखौ, पिय! छाँह घरीक है ठाढ़े।
  • पोंछि पसेउ बयारि करौं, अरु पायँ पखारिही भूभुरि-डाढ़े।
Answered by krishansoni156
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Explanation:

d is correct option for this one

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