English, asked by avanimehra2010, 16 days ago

- Vaachan - desh bhakti ki kavita
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Answered by Ahanamandal
1

Answer:

वर्षों तक वन में घूम-घूम,

बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,

सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,

पांडव आये कुछ और निखर।

सौभाग्य न सब दिन सोता है,

देखें, आगे क्या होता है।

मैत्री की राह बताने को,

सबको सुमार्ग पर लाने को,

दुर्योधन को समझाने को,

भीषण विध्वंस बचाने को,

भगवान् हस्तिनापुर आये,

पांडव का संदेशा लाये।

‘दो न्याय अगर तो आधा दो,

पर, इसमें भी यदि बाधा हो,

तो दे दो केवल पाँच ग्राम,

रक्खो अपनी धरती तमाम।

हम वहीं खुशी से खायेंगे,

परिजन पर असि न उठायेंगे!

दुर्योधन वह भी दे ना सका,

आशीष समाज की ले न सका,

उलटे, हरि को बाँधने चला,

जो था असाध्य, साधने चला।

जब नाश मनुज पर छाता है,

पहले विवेक मर जाता है।

हरि ने भीषण हुंकार किया,

अपना स्वरूप-विस्तार किया,

डगमग-डगमग दिग्गज डोले,

भगवान् कुपित होकर बोले-

‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,

हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।

यह देख, गगन मुझमें लय है,

यह देख, पवन मुझमें लय है,

मुझमें विलीन झंकार सकल,

मुझमें लय है संसार सकल।

अमरत्व फूलता है मुझमें,

संहार झूलता है मुझमें।

‘उदयाचल मेरा दीप्त भाल,

भूमंडल वक्षस्थल विशाल,

भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं,

मैनाक-मेरु पग मेरे हैं।

दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर,

सब हैं मेरे मुख के अन्दर।

‘दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख,

मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख,

चर-अचर जीव, जग, क्षर-अक्षर,

नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर।

शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र,

शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र।

‘शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश,

शत कोटि जिष्णु, जलपति, धनेश,

शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल,

शत कोटि दण्डधर लोकपाल।

जञ्जीर बढ़ाकर साध इन्हें,

हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें।

‘भूलोक, अतल, पाताल देख,

गत और अनागत काल देख,

यह देख जगत का आदि-सृजन,

यह देख, महाभारत का रण,

मृतकों से पटी हुई भू है,

Answered by kalsisimarjotkaur
2

देशभक्ति की भावना हर देशवासी के दिल में होनी चाहिए, आज इस लेख के माध्यम से, हम देशभक्ति कविता पढ़ते हैं और सभी भारतीयों को भारतीय होने की बधाई साझा करते हैं। दोस्तों, इस लेख में आप जो कविताएँ पढ़ेंगे वे प्रसिद्ध कवियों ने लिखी हैं, आपने अपने स्कूल के दिनों में इन देशभक्ति कविताओं (Bharat Desh Bhakti Kavita in Hindi, Desh Bhakti Poems) को भी पढ़ा होगा।हर देश के निवासी को अपने देश के प्रति प्रेम की भावना होती है, लेकिन हमारे देश के लोगों के बीच यह भावना कूट-कूट कर भरी है और यह हमारे देश को महान बनाता है।

आप भाग्यशाली हैं कि आपका जन्म भारत में हुआ है और आपको इस पर गर्व भी होना चाहिए। क्योंकि मैंने सुना है कि भारत की पवित्र भूमि पर भी देवता जन्म लेने के लिए तरसते हैं।

यदि आप भी एक देशभक्त व्यक्ति हैं, तो निश्चित रूप से आपको अपने देश से बहुत लगाव होगा और आप देश की आन, बान और शान के लिए अपनी जान देने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे।

आइए हम कुछ छोटी Desh Bhakti Kavita (देशभक्ति कविताएँ) पढ़ें।

जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा

जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा वो भारत देश है मेरा जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा वो भारत देश है मेरा ये धरती वो जहाँ ऋषि मुनि जपते प्रभु नाम की माला जहाँ हर बालक एक मोहन है और राधा हर एक बाला जहाँ सूरज सबसे पहले आ कर डाले अपना फेरा वो भारत देश है मेरा अलबेलों की इस धरती के त्योहार भी हैं अलबेले कहीं दीवाली की जगमग है कहीं हैं होली के मेले जहाँ राग रंग और हँसी खुशी का चारों ओर है घेरा वो भारत देश है मेरा जब आसमान से बातें करते मंदिर और शिवाले जहाँ किसी नगर में किसी द्वार पर कोई न ताला डाले प्रेम की बंसी जहाँ बजाता है ये शाम सवेरा वो भारत देश है मेरा

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