Hindi, asked by ayush4235, 1 year ago

Vachan ka mahatva essays in hindi​

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Answered by AadilPradhan
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"प्राण जाए पर वचन न जाए"

लगभग सभी ने इस उक्ति के बारे में पढ़ा-सुना होगा। वचन पूरा करने के लिए मर-मिटने वाले शूरवीरों की कथाओं से इतिहास भरा पड़ा है।

दरअसल वचन पूरा करने की बाध्यता और महत्ता आपस मे एक दूसरे से जुड़ी हुई है। सदियों से चली आ रही परम्पराओं का निर्वहन करते हुए, भारतीय समाज ने अपने पुरखों द्वारा निर्धारित मूल्यों को अंगीकार किए रखा है।

चूंकि हमारे इतिहास में वचन को अन्य सब तर्कों से अधिक महत्व दिया गया है, इसलिए यही मूल्य हमें बाध्य करता है कि हम अपने वचन का पालन करें।

समाज मे उसी व्यक्ति की बात को गारंटी माना जाता है जो अपने वचन को पूरा करने के लिए तैयार रहता हो। वचन पूरा करने वालों को समाज मे सम्मान की नजर से देखा जाता है। इसलिए सदैव वचन देने वाले मनुष्य को हर परिस्थिति में अपने वचन के प्रति ईमानदार रहना चाहिए।

Answered by shishir303
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                                             निबंध

                                     वचन का महत्व

जीवन में अपने वचन का बहुत महत्व होता है। वचन यानि अपनी द्वारा कही गयी किसी बात के प्रति प्रतिबद्धता दिखाना। हमने किसी कार्य को करने को पूरा करने का संकल्प लिया है तो उसे पूरा करना ही है। यदि हम किसी कार्य को पूरा करने के वचनबद्ध हैं तो हमें वो कार्य पूरा करना ही है, तभी हमारी साख बनेगी। जीवन में सफल होने के लिये अच्छी साख होनी बहुत जरूरी है। अच्छी साख का निर्माण तभी होता है जब हम अपने वचन को पूरा करने के लिये गंभीर होते हैं, अर्थात हमने किसी कार्य को पूरा करने की बात कही है तो हमें वो कार्य पूरा करना ही है।

एक प्राचीन कहावत है कि ‘प्राण जाये पर वचन न जाये’। हमारे प्राचीन समय में वचन का बहुत महत्व होता था। तब लोग अपने द्वारा दिये गये वचन को पूरा करने के लिये अपनी जान देने से भी नही हिचकते थे। राजा हरिश्चंद्र ने अपने वचन को पूरा करने के लिये अपने राज्य तक को त्याग दिया और दर-दर भटके, लेकिन उन्होंने अपना वचन पूरा किया। राजा शिवि, दानवीर कर्ण, राजा दशरथ, भगवान श्रीराम, दधीचि आदि जैसे हमारे उदाहरण हमारे पौराणिक ग्रंथो में भरे पड़े हैं जिन्होंने अपने वचन की पूर्ति के लिये अपना सब कुछ त्याग देने में जरा भी संकोच नही किया। हमारे प्राचीन समय में वचन के पालन करने को चरित्र के मापदंड के रूप में जाना जाता था, अपने वचन से मुकर जाने व्यक्ति को सम्मान की नजर से नही देखा जाता था।

आज के समय में अपने वचन के पालन करने की प्रवृत्ति पहले जितनी भले न रही हो, भले ही आज लोग वचन के पालन को अपनी मर्यादा का प्रश्न न बना लेते हों। पर वचन के महत्व की प्रासंगिकता उतनी ही बनी हुई है। आज भी जो बात-बात पर झूठ बोलता है, या जो अपनी बात पर कायम नही रहता उसे लोग पसंद नही करते।

जब हम अपने वचन को हरदम पूरा करते हैं तो लोगों में हमारे प्रति विश्वास उपजता है और लोग हमसे और अपेक्षायें रखते हैं। लोगों की अपेक्षायें ही हमें और अच्छा करने के लिये प्रेरित करती हैं, जिससे हमारा सामजिक दायरा बढ़ता है।

एक अच्छे चरित्र के निर्माण में भी वचन का पालन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसलिये वचन के महत्व को पहचानें और हमेशा इसका पालन करें।

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