vachya ke prakar udaharan ke sath
Answers
वाच्य के तीन प्रकार हैं-
1. कर्तृवाच्य।
2. कर्मवाच्य।
3. भाववाच्य।
1.कर्तृवाच्य :- क्रिया के जिस रूप से वाक्य के उद्देश्य (क्रिया के कर्ता) का बोध हो, वह कर्तृवाच्य कहलाता है। इसमें लिंग एवं वचन प्रायः कर्ता के अनुसार होते हैं।
जैसे-
1.बच्चा खेलता है।
2.घोड़ा भागता है।
2.कर्मवाच्य :- क्रिया के जिस रूप से वाक्य का उद्देश्य ‘कर्म’ प्रधान हो उसे कर्मवाच्य कहते हैं।
जैसे-
1.भारत-पाक युद्ध में सहस्रों सैनिक मारे गए।
2.छात्रों द्वारा नाटक प्रस्तुत किया जा रहा है।
3.पुस्तक मेरे द्वारा पढ़ी गई।
4.बच्चों के द्वारा निबंध पढ़े गए।
3.भाववाच्य :- क्रिया के जिस रूप से वाक्य का उद्देश्य केवल भाव (क्रिया का अर्थ) ही जाना जाए वहाँ भाववाच्य होता है। इसमें कर्ता या कर्म की प्रधानता नहीं होती है। इसमें मुख्यतः अकर्मक क्रिया का ही प्रयोग होता है और साथ ही प्रायः निषेधार्थक वाक्य ही भाववाच्य में प्रयुक्त होते हैं। इसमें क्रिया सदैव पुल्लिंग, अन्य पुरुष के एक वचन की होती है।