वह अपनी कक्षा में प्रथम आया अध्यापक ने उसे शाबाशी दी फिर पूछा कि दूसरी कक्षा में कितने अंक वाला विद्यार्थी प्रथम आया है तो छात्रों ने कहा कि उसके भी इतनी अंक है 90 अध्यापक ने उसका एक अंक बढ़ाया इस पर एक कहानी लिखें
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यह अंश लेखक के बहुचर्चित आत्मकथात्मक उपन्यास का है। यह एक किशोर के देखे और भोगे हुए गाँवई जीवन के खुरदरे यथार्थ और उसके रंगारंग परिवेश की विश्वसनीय जीवंत गाथा है। इस आत्मकथात्मक उपन्यास में जीवन का मर्मस्पर्शी पिईईई अत व्रत अल्मत निमाध्ययग्रमण समाज औरलते-जूते किसानमष्ट्रों के संर्ष को भ अनूठी झाँकी है।
इस अंश में हर स्थिति में पढ़ने की लालसा लिए धीरे-धीरे साहित्य, संगीत और अन्य विषयों की ओर बढ़ते किशोर के कदमों की आकुल आहट सुनी जा सकती है।
लेखक के पिता ने उसे पाठशाला जाने से रोक दिया तथा खेती के काम में लगा दिया। उसका मन पाठशाला जाने के लिए तड़पता था, परंतु वह पिता से कुछ कहने की हिम्मत नहीं रखता था। उसे पिटाई का डर था। उसे विश्वास था कि खेती से कुछ नहीं मिलने वाला क्योंकि क्रमश: इससे मिलनेवाला लाभ घट रहा है। पढ़ने के बाद नौकरी लगने पर उसके पास कुछ पैसे आ जाएँगे। दीवाली के बाद ईख पेरने के लिए कोल्हू चलाया जाता था क्योंकि उसके पिता को सबसे पहले गुड़ बेचना होता था ताकि ओधिक कीमत मिल सके। हालाँकि पहले ईख काटने से उसमें रस कम निकलता था। इस वर्ष भी लेखक के पिता ने जल्दी कार्य शुरू किया।