वहाह
निम्नलिखित में से किसी एक गद्यांश की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए-04
झूरह काछी के दोनों बैलों के नाम थे
हीरा और
मोती। दोनों पछाई के थे देखने में सुंदर, काम में चौकस, डील में ऊँचे
दिनों साथ रहते-रहते दोनों में भाई-चारा हो गया था। दोनों आमने-
बहुत
सामने बैठे हुए एक दूसरे से मूल भाषा में विचार-विनिमय करते थे। एक-
दसरे की बात कैसे समझ जाने थे हम नहीं कह सकते। अवश्य ही उनमें
कोई ऐसी गुण शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला
मनुष्य वंचित है। दोनों एक-दूसरे को चाटकर-तूंधकर अपना प्रेम प्रकट
करने कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लेते, विग्रह के नाते से नहीं केवल
विनोद के भाव से, आत्मीयता के भाव से, जैसे दोस्तो में घनिष्ठता होने
ही धौल-धप्पा होने लगना है। इसके बिना दोस्ती कुछ फुसफुसी, कुछ
हल्की-सी रहती है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता।
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