वह जालपा, जो अपने घर बात-बात पर मान
किया करती थी, अब सेवा त्याग और सहिष्णुता
की मूर्ति थी। जग्गो मना करती रहती, पर वह मुंह
अंधेरे सारे घर में
झाडू लगा आती, चौका-बर्तन
कर डालती। आटा गूंथकर रख देती, चूल्हा जलादेती । तब बुढ़िया का काम केवल रोटियां सेकना था
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sorry I didn't know
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so sorry
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