वह जीवन भी क्या जीवन है,जिसमें हिंसा है रुदन हैमानव मरु मे खो जाएगा कहीं,जग ही निर्जन हो जाएगा कहीं,अब जीवन अर्थ व्यर्थ हो जाएगाघने अंधकार बीच खो जाएगा |कवि के अनुसार जिस जीवन में हिंसा रुदन है, वह जीवन कैसा है ?
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मानव मरू में खो जाएगा कहीं, जग ही निर्जन हो जाएगा कहीं।। अब जीवन अर्थ व्यर्थ हो जाएगा, घने अंधकार बीच खो जाएगा।
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हिंसा और रूदन से परिपूर्ण जीवन में
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