Hindi, asked by sunita78roy, 1 month ago

वह जमक्षमि
श्री सोहनलाल द्विवेदी विशेष रूप से राष्ट्रीय चेतना और देश-प्रेम को जगाने वाली मोजपूर्ण
कविता उनके हृदय में पल्लवित देश-प्रेम की भावना का परिचय कराती है। इसमें उन्होंने देश के
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
ऊँचा खड़ा हिमालय आकाश चूमता है,
नीचे चरण तले पड़, नित सिंधुझूमता है।
गंगा, यमुना, त्रिवेणी नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली, पग-पग छहर रही है।
वह पुण्यभूमि मेरी, वह स्वर्णभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।।
झरने अनेक झरते, जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़ियाँ चहक रही हैं, हो मस्त झाड़ियों में।
अमराइयाँ घनी हैं, कोयल पुकारती है,
बहती मलय-पवन है, तन-मन सँवारती है।
वह धर्मभूमि मेरी, वह कर्मभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।।
जन्मे जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थीं सीता,
श्री कृष्ण ने सुनाई, बंशी, पुनीत गीता।
गौतम ने जन्म लेकर जिसका सुयश बढ़ाया
जग को दया सिखाई, जग को दीया दिखाया।
वह युद्धभूमि मेरी, वह बुद्धभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।।
-सोहनलाल द्विवेदी

1)Wah janma bhumi meri path se hame kya siksha milti h?​

Answers

Answered by choudhurybishu39
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Explanation:

Hama ya is path sa yah siksa mitli ha ki hama apna matri bhumi ka sundorya or sundarta uski daridrata uski kripa uski daya hama samjna jahiya hama apni matri bhumi sa perm karna jahiya . ya path hama yahi siksha dati ha.

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