वह जन्मभूमि मेरी कविता का संदेश
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कविता का केंद्रीय भाव :-
उत्तर दिशा में घर से सिर उठा हिमालय पर्वत की चोटियां यहां के गौरवशाली संस्कृति का प्रतीक है। यह ऋषि मुनियों की पावन स्थली है । जहां जन्म लेकर देवता भी धन्य हो गए । कवि का संदेश है कि हमें अपने महान देश के महान आदर्श समझना तथा संवर्धन करना चाहिए।
व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने अपने मातृभूमि की प्रसंशा करते हुए ,भारत देश की महानता का गुणगान किया है . कवि कहता है कि भारत की उत्तर दिशा में हिमालय पर्वत है . उसकी ऊँचाई आसमान को चूमता है . ... अतः इसीलिए कवि को भारत भूमि अपनी जन्मभूमि पर गर्व है .
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