Hindi, asked by lover2633, 4 days ago

वही मानुष है जो मानुष के लिया मारे विषय पर निष्कर्ष​

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Answered by julisikdar3020
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मानव एक सामाजिक प्राणी है। वास्तव में मानवों के संगठन का ही नाम समाज है। आपस में संगठित होने के कारण मानवों में परस्पर सम्बन्ध एवं सम्पर्क भी है। यह पारस्परिक सहयोग एवं प्रेम की धारणा परोपकार के अन्तर्गत मानी जाती है। इस काव्योक्ति का तात्पर्य है कि जो मानव दूसरों के उपकार के लिए तत्पर होता है और उसी के लिए शरीर धारण करता है, वही वास्तव में सच्चा मानव है। परोपकार का अर्थ है दूसरों का भलाई। इसमें बदले की भावना नहीं होती है।

वास्तव में सच्चा मानव वही है जो जन कल्याणार्थ अपने प्राणों का बलिदान कर दे। इसी के साथ प्रत्येक मानव को कर्तव्यपरायण होना चाहिए तथा हमारा उद्देश्य जियो जीने दो’ का होना चाहिये। हमारा लक्ष्य मिल जुल कर आपस में आधी बाँट कर खाने का होना चाहिए।

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