वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे अनुच्छेद
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मनुष्य है वही कि जो मनुष्य के लिए मरे: हिंदी निबंध राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की इन पंक्तियों में मरने का अर्थ केवल मरना नहीं हैं, अपितु समाज, देश, सम्पूर्ण मानवजाती के हित के लिए त्याग, बलिदान, परोपकार करते हुए यदि आवश्यकता पड़े तो प्राण दान भी है। ... मनुष्यता है परहित में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करने में।
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