वहान
(ख) बालक द्वारा चाँद माँगने की जिद पर माँ क्या करती है? फिराक की रुबाइयों के आधार पर उत्तर लिखि,
(ग) ' उषा' कविता गाँव की सुबह का गतिशील चित्रण है। कैसे?
Answers
(ख) बालक चांँद मांँगने की हट कर रहा था। मांँ उस बालक को बहलाने का प्रयास कर रही थी।
आंँगन में खड़े होकर चांँद को देखकर बालक बहुत सुनकने लगता और माँ से जिद करने लगता है। उसका हृदय चांँद पर ललचा जाता है और मांँ से चांँद लेने का हट (जिद) करने लगता है। मांँ बालक के हाथ में दर्पण (शीशा) देकर बहलाती है- और बालक से कहती है देख आईने(शीशे) में चांँद आया है।
(ग) कवि कहते हैं कि भोर के समय आकाश नीले शंख की तरह पवित्र लगता है। जिसे कवि ने राख से लिपे चौके के समान बताया है जो सुबह की नमी के कारण गीला लगता है। फिर वह लाल केसर से धोए हुए सिल-सा लगता है।
कवि दूसरी उपमा स्लेट पर लाल खड़िया बनने से देता है। ये सारे उपमान ग्रामीण परिवेश से संबंधित है। आकाश के नीलेपन से जब सूर्य प्रकट होता है तो ऐसा लगता है कि जैसे नीले जल में किसी युवती का गोरा शरीर झिलमिला रहा हो। सूर्य के उदय होते ही उषा का जादू समाप्त हो जाता है। यह सभी दृश्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
सूर्य के उदय होने से लेकर सूर्य के अस्त होने तक यह रंग बदलते रहते हैं। इसमें गतिशीलता होती है।
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