वह नेपाल से तिब्बत जाने का मुख्य रास्ता है। फरी-कलिङपोङ् का रास्ता जब नहीं
खुला था, तो नेपाल ही नहीं हिंदुस्तान की भी चीजें इसी रास्ते तिब्बत जाया करती
थीं। यह व्यापारिक ही नहीं सैनिक रास्ता भी था, इसीलिए जगह-जगह फ़ौजी
चौकियाँ और किले बने हुए हैं, जिनमें कभी चीनी पलटन रहा करती थी। आजकल
बहुत से फ़ौजी मकान गिर चुके हैं। दुर्ग के किसी भाग में, जहाँ किसानों ने अपना
बसेरा बना लिया है, वहाँ घर कुछ आबाद दिखाई पड़ते हैं। ऐसा ही परित्यक्त एक
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