वहि रकत है वहि है वहि साहस
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"वही है रक्त, वही है देश, वही साहस है
"वही है रक्त, वही है देश, वही साहस है, वैसा ज्ञान
वही है शांति, वही है शक्ति, वही हम दिव्य आर्य-संतान
जियें तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे यह हर्ष
निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष।"
आधुनिक हिंदी के विश्व विख्यात कवि, नाटककार, उपन्यासकार तथा निबंधकार, महाकाव्य कामायनी के रचयिता जय शंकर प्रसाद
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