वह स्थान जहां प्रथम अहसहयोग आंदोलन शुरू हुआ
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1857 के स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति के बाद पहली बार असहयोग आन्दोलन के अंग्रेजी राज की नींव हिल गई। फ़रवरी 1922 में किसानों के एक समूह ने संयुक्त प्रांत के गोरखपुर जिले के चौरी चौरा में एक पुलिस थाने पर आक्रमण कर उसमें आग लगा दी।
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कलकत्ता में प्रथम अहसहयोग आंदोलन शुरू हुआ
अहसहयोग आंदोलन
- सितंबर 1920 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा असहयोग पर सहमति व्यक्त की गई और उस दिसंबर को लॉन्च किया गया।
- असहयोग आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में पहला जन आंदोलन था। इसमें मुख्य रूप से असहयोग की नीति अपनाई गई। इस आन्दोलन का व्यापक जनाधार था।
- असहयोग आंदोलन औपचारिक रूप से 1 अगस्त 1920 को शुरू किया गया था और बाद में 4 सितंबर 1920 को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया, जिसके बाद कांग्रेस ने इसे अपना औपचारिक आंदोलन स्वीकार कर लिया।
- भारत के लोगों से अंग्रेजों के स्कूल, कॉलेज और अदालतों में न जाने का आग्रह किया गया और ब्रिटिश करों का भुगतान न करें।
असहयोग आंदोलन की वापसी
- इसी बीच 5 फरवरी 1922 को गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा नामक स्थान पर पुलिस ने जबरन एक जुलूस को रोकने का प्रयास किया, जिसके परिणाम स्वरूप जनता ने आक्रोशित होकर थाने में आग लगा दी, जिसमें एक पुलिस अधिकारी ने और 21 कांस्टेबलों की मौत हो गई।
- इस घटना से गांधीजी स्तब्ध रह गए।उन्होंने आंदोलन वापस ले लिया।
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