वह देखो, पानी आया है, घिर - घिर कर बादल छाया है, सात समुन्द्र भर लाया है, तुम रस का सागर भर लाओ।
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वह देखो, पानी आया है, घिर - घिर कर बादल छाया है,
सात समुन्द्र भर लाया है, तुम रस का सागर भर लाओ।
भावार्थ ➲ कवि ‘हरिकृष्णदास गुप्त’ द्वारा रचित कविता ‘नाव बनाओ, नाव बनाओ’ कविता की इन पंक्तियों का भावार्थ यह है कि कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि बरसात के मौसम का आगमन हो चुका है। धरती पर बारिश होने लगी है। एक बच्चा अपने भाई से नाव बनाने के लिये कह रहा है। आकाश में काले बादल छाए हुए हैं। ऐसा लग रहा है कि मानो बादल सात समुंदर का पानी भर कर ले आए हों। बच्चा अपने भाई से रस का सागर भरकर लाने को कह रहा है।
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