India Languages, asked by charusharawat979, 2 months ago

वहति मन्दमन्दं सनीरे समीरे कालिन्दात्मजायास्सवानीरतीरे, नतां पंक्तिमालोक्य मधुमाधवीनाम् निनादय नवीनामये वाणिं ! वीणाम् ।। meaning in Hindi​

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Answered by ay8076191
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Explanation:

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भारतीवसन्तगीतिः

प्रस्तुत गीत आधुनिक संस्कृत—साहित्य के प्रख्यात कवि पं. जानकी वल्लभ शास्त्री की रचना ‘काकली’ नामक गीतसंग्रह से संकलित है। इसमें सरस्वती की वन्दना करते हुए कामना की गई है कि हे सरस्वती! ऐसी वीणा बजाओ, जिससे मधुर मञ्जरियों से पीत पंक्तिवाले आम के वृक्ष, कोयल का कूजन, वायु का धीरे—धीरे बहना, अमराइयों में काले भ्रमरों का गुञ्जार और नदियों का (लीला के साथ बहता हुआ) जल, वसन्त ऋतु में मोहक हो उठे। स्वाधीनता संग्राम की पृष्ठभूमि में लिखी गयी यह गीतिका एक नवीन चेतना का आवाहन करती है तथा ऐसे वीणास्वर की परिकल्पना करती है जो स्वाधीनता प्राप्ति के लिए जनसमुदाय को प्रेरित करे।

निनादय नवीनामये वाणि! वीणाम्

मृदुं गाय गीतिं ललित—नीति—लीनाम् ।

मधुर—मञ्जरी—पिञ्जरी—भूत—मालाः

वसन्ते लसन्तीह सरसा रसालाः

कलापाः ललित—कोकिला—काकलीनाम् ।।1।।

निनादय...।।

वहति मन्दमन्दं सनीरे समीरे

कलिन्दात्मजायास्सवानीरतीरे,

नतां पङ्क्तिमालोक्य मधुमाधवीनाम् ।।2।।

निनादय...।।

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