Vaisvik korona mahamari ka jivan shaili per prabhav likhiye
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युद्ध और वैश्विक महामारियां मानव मन और उसके पूरे भविष्य को गंभीर व दीर्घकालिक रूप से परिवर्तित कर देती हैं। द्धितीय विश्व युद्ध के बाद पुरुषों की कमी ने स्त्रियों के विकास का रास्ता खोला और उसके बाद का विश्व फिर कभी पहले जैसा न हो सका। अमेरिकी गृह युद्ध पर लिखे गए प्रसिद्ध उपन्यास-गोन विद द विंड, की नायिका युद्ध के बाद की परिस्थितियों में बेहद सशक्त बनकर उभरी, जो कि बिना युद्ध की परिस्थितियों के कदाचित संभव नहीं था। उसी तरह वैश्विक महामारियां विश्व को एक नई दिशा में मोड़ती हैं जिसके बाद लाखों-करोड़ों लोगों का जीवन कभी भी पहले के जैसा नहीं हो पाता है।
वर्तमान समय में कोरोना एक वैश्विक महामारी बन चुकी है, और निश्चित तौर पर वह भी मानव मन पर लघुकालिक एवं दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ जाएगी। कुछ लोगों का जीवन तो सदैव के लिए ही बदल जाएगा। कोरोना के प्रभाव केवल स्वास्थ्य तक सीमित नहीं हैं। यह प्रभाव सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, राजनीतिक और सबसे प्रमुख आर्थिक तक विस्तृत हो गए हैं।
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कोरोना वायरस मानव जीवन और इतिहास पर एक गहरा आघात दे गया है । देश के प्रथम श्रेणी के वैज्ञानिक एवं डॉक्टर इसके सामने बेबाक से लग रहे हैं । जब-जब सृष्टि पर किसी चीज की अति हुई किसी न किसी घोर संकट का प्रादुर्भाव अवश्य हुआ है । काल के प्रवाह में आज तक जब जब महामारी या कोई विकट परिस्थितियों का जन्म हुआ उसके पीछे मानव का बेपनाह स्वार्थ छिपा होता है । ऐसे में बात करें तो प्रकृति पर पिछले कुछ वर्षों से व्यापक स्तर पर प्रहार हुआ है । मानव के पास जो भी संसाधन आज मौजूद हैं वह प्रकृति की ही देन है । परन्तु आज मानव प्रकृति पर तो अघात कर ही रहा है साथ मे जैव विविधता का अस्तित्व को मिटाने पर तुला हुआ है । हम प्रकृति के संरक्षण की बात तो करते हैं परन्तु कहाँ तक ? दिन प्रतिदिन जीवों की प्रजातियों के लुप्त होना और कई प्राकृतिक धरोहरों को हमने स्वार्थ वश खो दिया है ।
● पर्यावरण से छेड़छाड़
पृथ्वी को अंधकारमय एवं विनाश की ओर अब कदम चल पड़े हैं ऐसे में प्रकृति के रौद्र रूप का सामने आना कोई नयी बात नहीं है ।प्रकृति से निरन्तर बड़े स्तर और छेड़छाड़ करने का नतीजे पिछले कुछ वर्षों से लगातार सामने आ रहे हैं आज पर्यावरण का निरन्तर कटाव, जलवायु परिवर्तन , हिमखंड का पिघलना ,शुद्ध वायु न मिलना ये संकट सामने आने लगे हैं । कोरोना शायद एक सीख जरूर दे गया है कि अब भी न सम्भले तो भविष्य में मानव जाति का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है ।
● एक विकट और बहुत बड़े आर्थिक संकट की ओर संकेत
कोरोना वायरस जहां एक ओर समग्र विश्व के लिए एक चिनौति बन चुका है वहीं इससे देश की अर्थव्यवस्था और कारोबार से देश की नींव डगमगा गयी है । लॉकडाउन के चलते देश के सभी बड़े उद्योग व व्यापक स्तर के तमाम कारोबार ठप्प पड़े हुए हैं । सभी प्रकार के आयात निर्यात इससे प्रभावित हो गए हैं । इससे कृषि क्षेत्र पर भी बहुत बुरा असर पड़ा है । वहीं खड़ी फसल कटाई के बाद अब लॉकडाउन के चलते खराब होने के कगार पर है । जिससे किसानों को भारी नुकसान हो सकता है । इतना ही नहीं नकदी फसल का ज्यादा भंडारण भी चिंता का विषय बना हुआ है ।
कोरोना से लघु उद्योगों से बड़े उद्योगों तक , शेयर बाजार, पर्यटन, मेडिसिन कंपनियों सहित सभी प्रभावित हुए हैं । ऐसे में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के लिए आने वाले कुछ सप्ताह बहुत ही चिनौतियों भरने वाले हैं । जब तक निर्यात व आयात सही तरीके से पटरी पर नहीं आ जाते तब तक सरकार से लेकर उद्योगपतियों तक सभी प्रभावित रहेंगे ।