. वक्षृ ाः पादपाः कि मर्थम्कथ्यन्त?े
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पौधों में भी हमारे समान जीवन है; हमारा विज्ञान भी आज प्रमाणित कर चुका है, जब कि हमारे ऋषि-मुनियों ने यह बात सहस्राधिक
वर्ष पहले ही प्रमाणित कर दी थी। प्रस्तुत पाठ में यह सन्देश भी दिया गया है कि मनुष्य को वृक्षों-पादपों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। वार्तालाप शैली में संकलित प्रस्तुत सामग्री में प्रश्नकर्ता महर्षि भारद्वाज हैं और समाधानकर्ता महर्षि भृगु।
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Question 1:
उच्चारणं कुरुत-
उपरि अधः उच्चैः
नीचैः बहिः अलम्
कदापि अन्तः पुनः
कुत्र कदा एकदा
ANSWER:
विद्यार्थी इसका उच्चारण स्वयं करें।
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