वक्त पर जगाओ नहीं तो बेवक्त जागेगा यह जो आगे निकल गए हैं उन्हें पाने घबरा के भागेगा यह। कविता की इस पंक्ति का शाब्दिक और सांकेतिक अर्थ स्पष्ट कीजिए। कविता इसे जगाओ।
Answers
Explanation:
प्रश्न 1.
कविता में किसे जगाने के लिए कहा गया है?
उत्तर:
कविता में सच्चाई से बेखबर, सपनों में खोए व्यक्ति को जगाने के लिए कहा गया है।
प्रश्न 2.
पंछी से क्या आग्रह किया गया है?
उत्तर:
पंछी से सोए पड़े व्यक्ति के कान पर चिल्लाने का आग्रह किया गया है।
प्रश्न 3.
पवन से क्या आग्रह किया गया है?
उत्तर:
पवन से सोए व्यक्ति को हिलाने का आग्रह किया गया है।
लिर
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
‘भई, सूरज’ वाक्यांश में ‘भई’ संबोधन का प्रकार
(क) औपचारिक
(ख) आत्मीय
(ग) आदरसूचक
(घ) श्रद्धासूचक।
प्रश्न 2.
कविता में क्षिप्र’ कहा गया है
(क) जो घबराकर भागता है।
(ख) जो तेज गति से चलता है।
(ग) जो अवसर नहीं चूकता है।
(घ) जो क्षणभर को सजग रहता है।
उत्तर:
1, (ख)
2. (ख)
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
इस कविता में कवि सोए हुए को जगाने का अनुरोध क्यों करता है?
उतर:
कवि सपनों में खोए हुए व्यक्ति को जीवन की सच्चाइयों से परिचित कराना चाहता है। समय कभी किसी के लिए नहीं रुकता। मनुष्य को ही सजग रहकर समय के साथ चलना पड़ता है। जो लोग इस कठोर सच्चाई से बेखबर रहकर केवल कल्पनाओं और सपनों में खोए रहते हैं वे जिंदगी की यात्रा में पिछड़ जाते हैं।
प्रश्न 2.
बेवक्त जागने का क्या परिणाम होता है?
उत्तर:
बेवक्त जागने वाला देखता है कि वह जीवन में पिछड़ गया है। लोग उससे आगे निकल गए हैं। तब वह उनका साथ पाने को घबराकर दौड़ने लगता है। ऐसा व्यक्ति कभी भी किसी संकट में पड़ सकता है। वह ठोकर खाकर गिर सकता है। रास्ता भूल सकता है। उसे सफलता मिलना बहुत कठिन हो जाता है।
प्रश्न 3.
इस कविता में कवि ने किस-किससे सोए हुए आदमी को जगाने का आग्रह किया है?
उत्तर:
कवि ने सबसे पहले सूरज से आग्रह किया है कि वह सपनों में खोए आदमी को जगाए। इसके बाद उसने पवन से आग्रह किया है कि वह सोए आदमी को हिलाकर जगा दे। अंत में कवि ने पंछी से आग्रह किया है कि वह सोए व्यक्ति के कान के पास जाकर चिल्लाए और उसे सही समय पर जगा दे।
प्रश्न 4.
घबराकर भागना क्षिप्र गति से अलग कैसे है?
उत्तर:
जब कोई आदमी बेवक्त जागता है, तो उसे पता चलता है कि वह पीछे रह गया है और अन्य लोग आगे निकल गए हैं, तो वह पिछड़ जाने की घबराहट में भागना शुरू कर देता है। यह लक्ष्य की ओर बढ़ने का सही ढंग नहीं है। ऐसा व्यक्ति जीवन में सफलता नहीं पा सकता। क्षिप्र गति का अर्थ तेज चाल है। फुर्ती से कदम बढ़ाते हुए, सही समय पर चलने से व्यक्ति, सही समय पर अपने लक्ष्य तकं पहुँच जाता है। इस प्रकार घबराकर भागना और तेज गति से चलना चलने के गलत और सही ढंग हैं।