वख कविता पर स्लोगन.
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पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और व्याख्या - वाख क्षितिज भाग - 1. जी में उठती रह-रह हूक,घर जाने की चाह है घेरे। ... व्याख्या - इन पंक्तियों में कवियत्री ने जीवन में संतुलनता की महत्ता को स्पष्ट करते हुए कहा है की केवल भोग-उपभोग में लिप्त रहने से कुछ किसी को कुछ हासिल नही होगा, वह दिन-प्रतिदिन स्वार्थी बनता जाएगा
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