Hindi, asked by yash3800t789, 7 months ago

vakya ka bhed bataiye . example ravindra nath tagore ko gitanjali ke liye puraskar mila


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Answered by Aadhyagupta2
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Answer:

वर्ष 1912 में जब लंदन में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के संग्रह 'गीतांजलि' का प्रकाशन हुआ, तो उस दौर के बड़े यूरोपीय साहित्यकार डब्ल्यू. बी. यीट्स ने इसे अद्वितीय रचना कहा। यीट्स के अनुसार, यह ऐसी रचना थी, जिसका तत्कालीन साहित्य में कोई जोड़ नहीं था। जब स्वीडिश एकेडमी ने गुरुदेव को 'गीतांजलि' के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया, तो यीट्स की बात सच साबित हुई। कहते हैं, टैगोर को नोबेल नहीं मिल पाता, यदि उन्होंने गीतांजलि की चर्चा अपने दोस्तों से न की होती।

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