Hindi, asked by ayushkumar11june, 1 year ago

- वल्लभ भाई को देश किस नाम से याद करता है? क्यों?​

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Answered by lovewithsomeone
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Answer:भारत के देश भक्तों में सरदार वल्लभ भाई पटेल एक अमूल्य रत्न थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल तन, मन, कर्म और वचन से एक सच्चे देश भक्त थे। अगर हम सरदार पटेल को आधुनिक भारत का शिल्पी कहे तो यह गलत नही होगा क्योकि वे मृदुभाषी के साथ-साथ अनुशासनप्रिय, कर्मठ और बाहर से कठोर व्यक्तित्व के कुशल संगठक थे। उनमें कौटिल्य जैसी नीति और अब्राहम लिंकन जैसी राष्ट्रीय एकता की अटूट निष्ठा थी।

 

आज हम जिस भारत को अखण्ड रूप में देख रहे है उसकी कल्पना सरदार पटेल के बिना शायद ही पूरी हो पाती। क्योकि, जब अंग्रेज इस देश से गये तो जाते-जाते ऐसे हालात बना गये जिससे इस देश के 500 से भी ज्यादा टुकड़े होने निश्चित थे। लेकिन सरदार पटेल ने अपनी सूझ-बुझ, दृढ़ संकल्प और दूरदर्शिता की शक्ति से भारत को खंडित होने से बचा लिया जिस कारण देशवासियों ने सरदार पटेल को भारत के ”लौह पुरुष” का नाम दिया।

सरदार पटेल का यह मानना था – ”यह हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह यह अनुभव करे की उसका देश स्वतंत्र है और उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्तव्य है। हर एक भारतीय को अब यह भूल जाना चाहिए कि वह एक राजपूत है, एक सिख है या जाट। उसे यह याद होना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसे इस देश में हर अधिकार है पर कुछ नैतिक ज़िम्मेदारियाँ भी है।”

वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 में गुजरात के नाडियाद में हुआ था। इनके पिता का नाम झावेरभाई पटेल व माता का नाम लाड़बा पटेल था। वल्लभभाई पटेल, पाँच भाई व एक बहन थे। इनके पिता कृषि व पशुपालन का कार्य कर अपने घर का पालन पोषण करते थे। इनका बचपन अपने माता-पिता के साथ करमसद गाँव में ही व्यतीत हुआ। इनके पिता नित्य प्रातःकाल अपने साथ वल्लभभाई को खेत ले जाते और रास्ते में पहाड़े याद करवाते थे। इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर से ही शुरू हुई थी। इनकी शिक्षा पर इनके परिवार का हमेशा से ही विशेष ध्यान रहा।

16 वर्ष की आयु में ही वल्लभभाई का विवाह कर दिया गया लेकिन इन्होने अपने विवाह को अपनी पढ़ाई के बीच कभी नही आने दिया। 22 साल की उम्र में नाडियाद (इनका ननिहाल) से सन् 1897 में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। फिर जिला अधिवक्ता की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए और उन्हें वकालत की अनुमति मिली। लंदन में उन्होनें वकालत की पढ़ाई पूरी की और अहमदाबाद आकर वकालत करने लगे। वकालत में उन्होनें खुब यश और प्रसिद्धि की धाक जमाई। अपनी वकालत के दौरान ही उन्होने ऐसे कई केसों में जीत हासिल की जिसे दूसरे वकील हारा हुआ मानते थे। अपने काम के प्रति गंभीरता और शालीनता उनकी पहचान थी।

वल्लभभाई बचपन से ही मेहनती, निडर और स्पष्टवादी स्वभाव के धनी थे। अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना उनके जीवन का विशिष्ठ गुण था। जिसके परिणाम स्वरूप विद्यार्थी जीवन में ही, कई बार अपने अध्यापकों का विरोध और मनमुटाव सहन करना पड़ा। नाडियाद में उनके स्कूल के अध्यापक स्कूल में ही किताबों का व्यापार करते थे और स्कूल के बच्चों को मजबूर करते थे कि किताबें बाहर से ना खरीद कर उन्हीं से खरीदें। वल्लभभाई ने इसका जमकर विरोध किया और छात्रों को भी प्रेरित किया कि वे अध्यापकों से किताबें ना खरीदें। परिणाम स्वरूप अध्यापकों और छात्रों मे जमकर संघर्ष शुरू हो गया। छः-सात दिनों तक स्कूल भी बंद रहा लेकिन अंत में छात्रों की जीत हुई और अध्यापकों द्वारा पुस्तकें बेचने की प्रथा बंद करनी पड़ी।

Answered by aditi2526
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लोह पुरुष से जाना जाता है ।

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