van aur paryavaran essays
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वन और पर्यावरण – वन और पर्यावरण का गहरा संबंद है | ये सचमुच जीवनदायक हैं | ये वर्षा लाने में सहायक होते हैं और धरती की उपजाऊ-शक्ति को बढ़ाते हैं | वन ही वर्षा के धारासार जल को अपने भीतर सोखकर बाढ़ का खतरा रोकते हैं | यही रुका हुआ जल धीरे-धीरे सरे पर्यावरण में पुन: चला जाता है | वनों की कृपा से ही भूमि का कटाव रुकता है | सुखा कम पड़ता है तथा रोगिस्तान का फैलाव रुकता है |
प्रदूषण-निवारण में सहायक – आज हमारे जीवन की सबसे बड़ी समस्या है – पर्यावरण-प्रदूषण | कार्बन डाइआक्साइड, गंदा, धुआँ, कर्णभेदी आवाज, दूषित जल-इन सबका अचूक उपय है – वन सरंक्षण | वन हमारे द्वारा छोड़ी गई गंद साँसों को, कार्बन डाइआक्साइड को भोजन के रूप में ले लेते हैं और बदले में हमें जीवनदायी आक्सीजन प्रदान करते हैं | इन्ही जंगलों में असंख्य, अलभ्य जीव-जंतु निवास करते हैं जिनकी कृपा से प्राकृतिक संतुलन बना रहता है | आज शहरों में उचित अनुपात में पेड़ लगा दिए जाएँ तो प्रदूषण की भयंकर समस्या का समाधान हो सकता है | परमाणु ऊर्जा के खतरे को तथा अत्यधिक ताप को रोकने का सशक्त उपय भी वनों के पास है |
वनों की अन्य उपयोगता – वन ही नदियों, झरनों और अन्य प्राकुतिक जल-स्रोतों के भंडार हैं | इनमें ऐसी दुर्लभ वनस्पतियाँ सुरक्षित रहती हैं जो सारे जग को स्वास्थ्य प्रदान करती हैं | गंगा-जल की पवित्रता का कारण उसमें मिल्ली वन्य औषधियाँ ही हैं | इसके अरिरिक्त वन हमें, लकड़ी, फुल-पट्टी, खाद्द-पदार्थ, गेंद तथा अन्य सामन प्रदान करते हैं |
Explanation:
पर्यावरण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environment in Hindi)
निबंध - 1 (300 शब्द)
परिचय
पर्यावरण में वह सभी प्राकृतिक संसाधन शामिल है जो कई तरीकों से हमारी मदद करते हैं तथा चारों ओर से हमें घेरे हुएं हैं। यह हमें बढ़ने तथा विकसित होने का बेहतर माध्यम देता है, यह हमें वह सब कुछ प्रदान करता है जो इस ग्रह पर जीवन यापन करने हेतु आवश्यक है।
हमारा पर्यावरण भी हमसे कुछ मदद की अपेक्षा रखता है जिससे की हमारा लालन पालन हो, हमारा जीवन बने रहे और कभी नष्ट न हो। तकनीकी आपदा के वजह से दिन-प्रतिदिन हम प्राकृतिक तत्व को अस्वीकार रहे हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस तथा पर्यावरण सुरक्षा के उपाय
पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण के वास्तविकता को बनाए रखना होगा, पूरे ब्रम्हांड में बस पृथ्वी पर ही जीवन है। वर्षों से प्रत्येक वर्ष 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए तथा साथ ही पर्यावरण स्वच्छता और सुरक्षा के लिए दुनिया भर में मनाया जाता है। पर्यावरण दिवस समारोह के विषय को जानने के लिए, हमारे पर्यावरण को किस प्रकार सुरक्षित रखा जाये तथा हमारे उन सभी बुरी आदतों के बारे में जानने के लिए जिससे पर्यावरण को हानि पहुंचता है, हम सभी को इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहिए।
धरती पर रहने वाले सभी व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे कदमों के माध्यम से हम बहुत ही आसान तरीके से पर्यावरण को सुरक्षित कर सकते हैं। हमें अपशिष्ट की मात्रा में कमी करना चाहिए तथा अपशिष्ट पदार्थ को वही फेकना चाहिए जहां उसका स्थान है। प्लास्टिक बैंग का उपयोग नही करना चाहिए तथा कुछ पुराने चीजों को फेकने के बजाय नये तरीके से उनका उपयोग करना चाहिए।
निष्कर्ष
देखे किस प्रकार हम पुराने चीजों को दुबारा उपयोग में ला सकते हैं- जिन्हें दुबारा चार्ज किया जा सकता है उन बैटरी या अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें, प्रतिदीप्त प्रकाश का निर्माण कर, बारिस के पानी का संरक्षण कर, पानी की अपव्यय कम कर, ऊर्जा संरक्षण कर तथा बिजली की खपत कम करके, हम पर्यावरण के वास्तविकता को बनाए रखने के मुहिम की ओर एक कदम बढ़ा सकते है।
निबंध - 2 (400 शब्द)
परिचय
धरती पर जीवन के लालन पालन के लिए पर्यावरण प्रकृति का उपहार है। वह प्रत्येक तत्व जिसका उपयोग हम जीवित रहने के लिए करते हैं वह सभी पर्यावरण के अन्तर्गत आते हैं जैसे- हवा, पानी प्रकाश, भूमि, पेड़, जंगल और अन्य प्राकृतिक तत्व।
पर्यावरण प्रदुषण एक व्यापक समस्या
हमारा पर्यावरण धरती पर स्वस्थ जीवन को अस्तित्व में रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फिर भी हमारा पर्यावरण दिन-प्रतिदिन मानव निर्मित तकनीक तथा आधुनिक युग के आधुनिकरण के वजह से नष्ट होता जा रहा है। इसलिए आज हम पर्यावरण प्रदुषण जैसे सबसे बड़े समस्या का सामना कर रहे हैं।
सामाजिक, शारीरिक, आर्थिक, भावनात्मक तथा बौद्धिक रूप से पर्यावरण प्रदुषण हमारे दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर रहा है। पर्यावरण प्रदुषण वातावरण में विभिन्न प्रकार के बीमारीयों को जन्म देता है, जिसे व्यक्ति जीवन भर झेलता रहता है। यह किसी समुदाय या शहर की समस्या नहीं है बल्कि दुनिया भर की समस्या है तथा इस समस्या का समाधान किसी एक व्यक्ति के प्रयास करने से नहीं होगा। अगर इसका निवारण पूर्ण तरीके से नहीं किया गया तो एक दिन जीवन का अस्तित्व नहीं रहेगा। प्रत्येक आम नागरिक को सरकार द्वारा आयोजित पर्यावरण आन्दोलन में शामिल होना होगा।
हम सभी को अपनी गलती में सुधार करना होगा तथा स्वार्थपरता त्याग कर पर्यावरण को प्रदुषण से सुरक्षित तथा स्वस्थ करना होगा। यह मानना कठिन है, परन्तु सत्य है की प्रत्येक व्यक्ति द्वारा उठाया गया छोटा सकारात्मक कदम बड़ा बदलाव कर सकता है तथा पर्यावरण गिरावट को रोक सकता है। वायु तथा जल प्रदुषण द्वारा विभिन्न प्रकार के रोग तथा विकार का जन्म होता है जो हमारे जीवन को खतरे में डालते हैं।
आज के समय में किसी भी चीज को स्वास्थय के दृष्टी से सही नहीं कहा जा सकता, जो हम खाना-खाते हैं वह पहले से कृत्रिम उर्वरक के बुरे प्रभाव से प्रभावित होता है, जिसके फलस्वरूप हमारे शरीर की रोग प्रतिरक्षा क्षमता कमजोर होती है जो की सुक्ष्म जीवों से होने वाले रोगों से लड़ने में शरीर को सहायता प्रदान करता हैं। इसलिए, हम में से कोई भी स्वस्थ और खुश होने के बाद भी कभी भी रोगग्रस्त हो सकता है।
मानव जाति द्वारा शहरीकरण और औद्योगीकरण के आन्दोलन ने चिकित्सा, उद्योग तथा सामाजिक क्षेत्र को विकसित किया परन्तु प्राकृतिक परादृश्य को कंक्रीट ईमारतों तथा सड़कों में तबदील कर दिया। भोजन तथा पानी पाने के लिए प्रकृति परादृश्यों पर हमारी निर्भरता इतनी अधिक है की हम इन संसाधनों की रक्षा किए बिना जीवित न