Van ke Marg Mai Ki Poem Ka Meaning
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व्याख्या - प्रस्तुत सवैया में तुलसीदास ने कहा है कि राम के वनवास के समय ,नगर के निकलते ही सीता जी कुछ दूर चलने में थक गयी। उनके माथे पर पसीना बहने लगा और ओंठ पानी न मिलने के कारण सूख गए। वे अपनी पति श्री रामचंद से पूछती है कि अभी कितनी दूर चलना है और पर्णकुटी कहाँ बनायेंगे।
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