Hindi, asked by Mahendraji5401, 1 year ago

Van rahenge to hum rahenge per 500 shabdo me nibandh

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Answered by abhishek664
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वन सिर्फ पेड़ों का एक झुंड नहीं बल्कि हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा होता है हमारा विश्व हमारा संसार मैं मानता हूं कि सिर्फ इन वनों पर ही टिका है यदि 1 नष्ट होते रहेंगे तो हमारा संसार भी नष्ट होने की राह पर अग्रसर रहेगा

वन हमें सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं देते हैं हमारे लिए हर सुविधाओं का हमारे अच्छा वातावरण देते हमें अच्छा शुद्ध वातावरण उपलब्ध कराते हैं क्योंकि एक सबसे बड़ी समस्या वर्तमान समय में यह आ रही है कि लोग अपने क्षणिक स्वार्थ के लिए वनों की कटाई बेधड़क करते जा रहे हैं उन्हें इसका जरा भी एहसास नहीं है कि वनों की कटाई से उनका कितना नुकसान होता है और देश संसार का कितना नुकसान होता है

सरकार द्वारा वनों की कटाई रोकने के लिए अनेक उपाय किए गए हैं वह किए जा रहे हैं जोकि सम्माननीय परंतु सामान्य नागरिकों के लिए बहुत कुछ करना होगा जिससे हमारे चले जाए हम तो कर ही सकते हैं हम जीते हैं अपने जीवन में उससे हमारा जीवन धन्य हो जाएगा हमारे आने वाली भविष्य आने वाली पीढ़ियों के लिए सुविधाएं उपलब्ध करा सकते हैं

शहर के लोगों को तो अपनी ऐसी आज सुख सुविधाओं से अपनी गर्मी यादी गर्मी के मौसम में वातावरण को अच्छा बनाया जा सकता है परंतु गांव के लोगों का सहारा सिर्फ इन वनों से ही है इन पेड़ों से यह अगर यह नहीं होंगे तो उनका जीवन नष्ट होने की कगार पर होगा

अंततः हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं के लिए एक समूह बनाने के लिए योग्य नहीं है अबे हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग होते हैं इसलिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने से हमारा जीवन ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित रहेगा और सुख रहेगा धन्यवाद
Answered by chandrasinghdt
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Explanation:

मित्र इस विषय पर हम आपकी सहायता हेतु कुछ पंक्तियाँ लिखकर दे रहे हैं। इसी तरह आप स्वयं इसे विस्तारपूर्वक लिखिए। इससे आपका अच्छा अभ्यास होगा।

वन हमारे जीवन का स्रोत है। यदि यह नहीं है, तो हमें अपने जीवन की कल्पना करना छोड़ देना चाहिए। मनुष्य को जीवित रहने के लिए भोजन, पानी और हवा की आवश्यकता है। वन हमारी तीनों आवश्कताओं की पूर्ति करते हैं। यह प्रकृति के संतुलन को बनाए रखते हैं और ऋतुओं को नियंत्रित करते हैं। वायु को शुद्ध बनाते हैं तथा पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकते हैं। हमारे साथ-साथ इस पृथ्वी के बहुत से जीव-जन्तु भी वनों पर निर्भर हैं। इसके महत्व को जानने के बाद भी हम इनकी अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं। इससे प्रकृति को बहुत नुकसान हो रहा है। ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ रहा है। प्रकृति अंसुतलन इसका दुष्परिणाम है। वन को बचाने के लिए वन महोत्सव 1950 में मनाना आरंभ किया गया था। इसमें वनों को विशेष महत्व दिया जाता है और वहाँ पर बहुत से पेड़ लगाकर उन्हें पुनः जीवित करने का प्रयास किया जाता है। हमारे देश में पेड़ों को विशेष रूप से पूजा जाता है। माना जाता है कि पेड़ देवता के समान है, जो मनुष्य के जीवन में बहुत काम आते हैं। हमारे धर्म ग्रंथों में इन्हें विशेष स्थान दिया गया है। कुछ पेड़ों की टहनियाँ तथा पत्ते पूजा सामग्री में भी प्रयोग में लाए जाते हैं। इससे पता चलता है कि प्राचीन समय से ही लोग पेड़ों के महत्व को भली-भांति से समझते थे।

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