Hindi, asked by amleshyadav726, 2 months ago

वनों के लाभ 20 पंक्तियां​

Answers

Answered by deepasingh98896
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Answer:

वनों से निम्नलिखित प्रत्यक्ष लाभ हैं:

भोजनः आदि मानव वनों में रहता था और वहीं से कद-मूल, फल अथवा पशु-पक्षियों के आखेट से अपनी उदर-पूर्ति करता था। आज भी कई आदिम जातियां अपने भोजन के लिए वनों पर ही निर्भर करती हैं।

औद्योगिक कच्चा मालः वनों से बहुत से उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध होता है। कागज, दियासलाई, लाख, प्लाईवुड, रेशम, खेलों का सामान आदि कई उद्योग वनों पर ही निर्भर करते हैं।

जड़ी–बूटियां: वनों से अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियां मिलती हैं, जिनसे विभिन्न प्रकार की औषधियां बनती हैं।

ईंधन की लकड़ी: लकड़ी वनों की सबसे बड़ी उपज है और ईंधन का सबसे बड़ा साधन है। प्राचीन काल में तो मानव जाति ईंधन के लिए पूर्णतया लकड़ी पर ही निर्भर करती थी। आज जबकि कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा विद्युत आदि ईंधन के कई विकल्प उपलब्ध हैं तो भी लकड़ी एक महत्वपूर्ण ईधन है।

पशुओं के लिए चाराः कई वनों में विस्तृत क्षेत्र पर घास उगती है जो पशुओं के चारे का काम करती है। कई पशु पेड़-पौधों को खाकर अपना निर्वाह करते हैं।

आजीविकाः वन असंख्य व्यक्तियों को आजीविका प्रदान करते हैं। लकड़ी को काटने, चीरने तथा वनों पर आधारित उद्योगों से लाखों को आजीविका मिलती है। भारत में लगभग 35 लाख व्यक्ति वनों से अपनी आजीविका कमाते हैं।

सरकारी आय: वन्य उत्पादों से कर के रूप में सरकार को काफी आय होती है। सन् 1951-52 में सरकार को वनों से 15.22 करोड़ रुपये की आय हुई जो बढ़कर 2000-2001 में 250 करोड़ रुपये हो गई। इसके अतिरिक्त, प्रतिवर्ष लगभग 100 करोड़ रुपये मूल्य के वन उत्पादो का नि्यंत किया जाता है।

अप्रत्यक्ष लाभ

Answered by brajeshsharma9798
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Answer:

प्रकृति ईश्वर की देन है। प्रकृति और मनुष्य आदिकाल से एक दूसरे पर निर्भर रहे हैं। मनुष्य प्रकृति की गोद में पला, बढ़ा और इसी पर निर्भर हो गया। आदिकाल से मनुष्य के जीवन में वन महत्वपूर्ण रहे हैं। परन्तु जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हुआ वैसे-वैसे मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वृक्षों को काटना आरम्भ कर दिया। वनों की लगातार कटाई होती गई और वातावरण पर भी इसका प्रभाव पड़ा।

जहाँ वन प्रकृति का संतुलन बनाए रखने में सहायक हैं वहीँ ये मानव जीवन का संरक्षण करने में भी मददगार हैं। वर्षा समय पर हो, मिट्टी का कटाव रोका जा सके, प्रदूषण की मात्रा घटे, बाढ़ न आए, अकाल न पड़े आदि मुसीबतों से भी वन हमें बचाते हैं। हमारी जरूरतों को पूरा करते हैं। लकड़ी, कागज़, फर्नीचर, दवाइयाँ सभी के लिए हम वनों पर निर्भर हैं।

वन भूमि को बंजर होने से रोकते हैं और प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं। वनों के विकास के लिए सरकार ने 1950 में वन-महोत्सव का कार्यक्रम शुरू किया, परन्तु प्रेरणा के आभाव में यह मंद पड़ गया। सरकार ने वनों की कटाई पर रोक लगा दी, परन्तु हिमालय के क्षेत्रों में आज भी कटाई जारी है।

वनों को लगाना ही एक मात्र हल नहीं है। हमें उन चीज़ों को भी रोकना होगा जिनसे वनों को हानि पहुँच रही है। आँकड़े बताते हैं कि हर आदमी एक साल में सात पेड़ों का उपयोग करता है। कागज़, फर्नीचर और इंधन के रूप में इसका उपयोग किया जाता है। विकास और जनसंख्या ने मनुष्य को लालची बना दिया है। मनुष्य ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रकृति का नाश कर दिया है

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