वन कानूनों में बदलाव का आदिवासी समाज ने क्यों विरोध किया था?
मानव निर्मित संपा
Answers
Answer:
वन कानूनों में बदलाव का आदिवासी समाज ने विरोध इसलिए किया था क्योंकि इस कानून के बाद आदिवासियों और अन्य आबादी को 'अतिक्रमणकारियों' के रूप में देखा जाने लगा था
Explanation:
इस कानून से पहले तक सदियों से जंगल और वन्य जीवों के साथ साहचर्य के साथ रहते आए आदिवासियों और अन्य आबादी को 'अतिक्रमणकारियों' के रूप में देखा जाने लगा था. इस झूठे अफसाने की पृष्ठभूमि अंग्रेजों ने लिख दी थी. उनके लिए जंगल इमारती लकड़ी और वनोपज के व्यवसायिक दोहन के एक अकूत खजाने की तरह था.
बहुत सारे आदिवासी समूहों ने औपनिवेशिक वन कानूनों का विरोध किया। उन्होंने नए नियमों का पालन करने से इनकार कर दिया और उन्हीं तौर-तरीकों से चलते रहे जिन्हें सरकार गैर-कानूनी घोषित कर चुकी है। सन 1906 में सोंग्रम संगमा द्वारा असम में और 1930 के दशक में मध्य प्रांत में हुआ वन सत्याग्रह इसी तरह के विद्रोह थे।
Answer:
आदिवासी समाज अपना जीवन चरितार्थ चलाने के लिए वन के उपर निर्भर रहते थे|
कानून आने से पहले आदिवासी समाज जंगल और वन्य जीवों के साथ रहते आ रहे है| वन में काम करके वह अपना गुजारा करते आ रहे है|
वन आदिवासी लोगों के लिए जीवन जीने का मार्ग था| बाद मे वन कानूनों में बदलाव आने के बाद आदिवासी समाज के अधिकारो पर पाबंदी आ गई| इसलिये आदिवासी समाज ने वन कानुनों में बदलाव का विरोध किया था|