वन्महोत्सव के बारे में छोटा लेख लिखिए
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वन महोत्सव पर निबंध (200 शब्द)
बढ़ती जनसंख्या और आधुनिकरण का सीधा प्रभाव हमारे वनों पर पड़ा है। जिसके चलते वनों की अंधाधुन कटाई हो रही है। भारत में अब सिर्फ 20% ही वन बाकि रहे है। वनों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए वन महोत्सव देश में मनाया जाता है। वन महोत्सव को एक राष्ट्रीय त्यौहार घोषित किया गया है।
वन महोत्सव की शुरुआत साल 1950 में देश के कृषिमंत्री डा. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा की गई थी। वनमहोत्सव हर साल जुलाई महीने में प्रथम सप्ताह के दौरान मनाया जाता है। उस दिन देश के सभी विद्यालयों, विश्वविद्यालयों , सरकारी दफ्तरों, कई संगठनो और संस्था द्वारा पुरे देश में पौधे लगाने के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। काफी मात्रा में लोग इस महोत्सव में बड़ी हुई के साथ भाग लेते है।
वनों के साथ हमारे जीवन का गहरा रिश्ता जुड़ा हुआ है। वन हमें हमारे शरीर के लिए मूलयवान प्राणवायु, फल, फूल, दवाइयां और काफी कीमती जीवन जरुरी सामग्री प्रदान करते है। वनों की कटाई के कारण हमारा भविष्य जोखिम में पड़ सकता है।
वन महोत्सव के दिन हमें हर साल अधिक से अधिक पौधे लगाने की प्रतिज्ञा करती चाहिए। लोगों में वनों के प्रति जागरुकता फैलानी चाहिए। जिससे हमारा आनेवाला कल बहेतर और सुनहरा बन सके। क्योंकि वृक्ष है तो जीवन है।
वन महोत्सव पर निबंध (800 शब्द)
प्रस्तावना
भारतीय संस्कृति के अधिकतर उत्सव हमेशा प्रकृति के साथ जुड़े हुए है। चाहे वो सामाजिक हो या धार्मिक। क्योंकि हम अपनी आवश्यता के लिए हमेशा प्रकृति पर निर्भर रहते है और उत्सवों के जरिये हम उनसे कृतज्ञता भाव अभिव्यक्त करते है। आज हम ऐसे ही एक उत्सव की बात करने जा रहे है जिसका नाम है वन महोत्सव।
वन महोत्सव यानी कि ‘पेड़ों का त्योहार’। हमारे जीवन में वनों का काफी महत्व है। वन हमें प्राणवायु, फल-फुल , छाया देते है और बदले में हमसे कुछ नहीं मांगते। साथ साथ पेड़ हमें जीवन में नैतिकता, परोपकार और विनम्रता जैसे गुण सिखाते है। उनका यही अहेसान हम वन महोत्सव जरिये अभिवक्त करते है।
वन महोत्सव दिवस
भारत देश में वन महोत्सव बड़े धाम धूम से मनाया जाता है। सन् 1950 में कृषि मंत्री डा. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा वन महोत्सव मनाने की शुरुआत हुई थी। यह उत्सव प्रति वर्ष 1 जुलाई को वन महोत्सव दिवस के रूप में मनाया जाता है और एक सप्ताह तक चलता है। यह एक राष्ट्रीय महोत्सव है। इस समय के दौरान पुरे भारत देश में एक लाख से भी ज्यादा वृक्षो रोपण होता है किया जाता है।
वन महोत्सव की शुरुआत
कृषि मंत्री डा. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने देखा भारत में पेड़ों की कटाई ज्यादा हो रही है। इस विषय को लेकर वो काफी चिंतित हुए। लोगों में वनों के प्रति जागरूकता लाने के लिए उन्होंने समूह में वृक्षारोपण का कार्यक्रम बनाने का सोचा। जिससे लोग जंगल संरक्षण और नए पेड़ों के रोपण का महत्व समझ सके। वन महोत्सव मनाने के लिए जुलाई महीने को चुना गया क्योंकि क्योंकि जुलाई महीने में वर्षा ऋतू की शुरुआत होती है और इस समय पर पेड़ लगाना काफी फायदेमंद होता है।
वैसे तो वन महोत्सव की शुरुआत साल 1947 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद और मौलाना अब्दुल कलाम जैसे राष्ट्रीय नेताओं द्वारा की गई थी लेकिन साल 1950 में इसे कृषि मंत्री कन्हैया लाल मुंशी ने वन महोत्सव को राष्ट्रीय महोत्सव के रूप में घोषित किया।
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Answer:
sorry I don't know hindi