वनोन्मूलन से होने वाले दुष्परिणाम बताइए
Answers
Answer:
वनोन्मूलन से होने वाले दुष्परिणाम:
वनोन्मूलन का प्रभाव पर्यावरण पर भौतिक और जैविक दोनों ही प्रकार से पड़ता है।
- मृदा अपरदन और आकस्मिक बाढ़ें.
- जलवायु में परिवर्तन.
- जैवविविधता में कमी.
★मृदा अपरदन और आकस्मिक बाढें:
घटते हुए वन्यावरण और भूजल के असीमित दुरुपयोग और शोषण ने निचले हिमालयों के ढलान अरावली की पहाड़ियों का क्षय (नाश) तीव्रता से कर दिया, जिससे वे भूस्खलन की ओर उन्मुख हो गये। वनों के विनाश ने वर्षा का ढंग भी बदल दिया। 1978 में भारत ने बहुत भयानक बाढ़ का सामना किया था। दो दिन की भीषण वर्षा ने 66,000 गाँवों को जलमग्न किया था, 2000 लोग डूब गये थे और 40,000 पशु बह गये थे।
★जलवायु परिवर्तन:
वन स्थानीय अवक्षेपण को बढ़ाते हैं और मिट्टी की पानी रोकने की शक्ति को समृद्ध बनाते हैं, जल-चक्र को नियंत्रित करते हैं। पेड़ों से जो पत्तियां या कूड़ा-करकट गिरता है उसकी सड़न से मिट्टी को पोषकता मिलती है और वह उर्वरक होती है। वन मृदा अपरदन, भूस्खलन को सीमित करते हैं और बाढ़ों और सूखे की तीव्रता को भी कम करते हैं। वन वन्यजीवों के निवास होते हैं इससे समाज का सौन्दर्य, पर्यटन और सांस्कृतिक मूल्य विकसित होता है।
★जैवविविधता:
जीवन के प्रत्येक रूप को जैवविविधता कहा जाता है। जैवविविधता विविधता का माप है, इसमें सभी जीवित प्राणियों और वस्तुओं के प्रकारों का समावेश जैवविविधता में होता है। जैवविविधता को कई प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है जिसमें प्रजातियों में अनुवांशिक स्टेंनों (भिन्नताओं) की संख्या और क्षेत्र की विभिन्न पारिस्थितिकीय भिन्नताएं निहित हैं। किसी विशेष क्षेत्र में (स्थानीय विविधता) या किसी विशेष प्रकार के पर्यावास में (पर्यावास विविधता) या पूरे विश्व में (विश्वव्यापी विविधता) रहने वाली विभिन्न जाति प्रजातियों की संख्या को सामान्य रूप से जैवविविधता कहा जाता है। जैवविविधता स्थिर नहीं होती है। विकास के साथ-साथ समय परिवर्तन से कुछ नई प्रजाति जन्म ले लेती हैं और कुछ प्रजाति लुप्त हो जाती हैं।
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
︎︎︎
hope it helps....★✰