वनोन्मूलन से वन्य जीवों पर क्या प्रभाव पड़ता है? अपने शब्दों में लिखिए एवं वन्य प्राणियों के चित्र भी चिपकाइये।
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वनोन्मूलन से वन्य जीवों पर प्रभाव
Explanation:
(क) वन्य प्राणी — वनों के उन्मूलन से वन्य प्राणियों पर बहुत बुरा असर पड़ता है। जब पेड़ आदि खत्म होने लगते हैं तो वन्य प्राणियों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाते हैं। जिससे वन्य प्राणी अपने लिये अनुकूल आवास की तलाश में इधर-उधर भटकते हैं और अवांछित जगहों पर जाने लगते हैं। इससे उनके अस्तित्व को खतरा पैदा हो जाता है। इसके अतिरिक्त वह अपनी प्राकृतिक जीवन शैली के अनुसार नही जी पाते हैं और ना ही अनुकूल वातावरण में रह पाते हैं, जिससे वह प्रजनन ही नही कर पाएंगे और उनकी प्रजाति नष्ट होने के कगार पर आ जाएगी।
(ख) पर्यावरण — वनोन्मूलन का सबसे बुरा प्रभाव यदि किसी चीज पर पड़ता है तो वह हमारा पर्यावरण है। वनों के खत्म हो जाने से हमारा पूरा पारिस्थितिकी तंत्र ही नष्ट हो जाता है। वन पूरे पर्यावरण में पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वन वायुमंडल में व्याप्त कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और शुद्ध ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं। जिससे वातावरण स्वच्छ होता है। यदि वन नष्ट होते हैं तो प्रदूषण बढ़ेगा और ऑक्सीजन की कमी होगी और कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ेगा। यह सभी प्राणियों के लिए खतरनाक स्थिति है।
(ग) गांव (ग्रामीण क्षेत्र)— वनोन्मूलन का प्रभाव गांव पर बुरा ही पड़ता है। वन मिट जाने से गांव में खेती की भूमि कम होने लगती है और उपजाऊ भूमि का भी अभाव होने लगता है। भूमि की मृदा क्षमता कम होने लगती है। गांव का जीवन कृषि पर ही निर्भर होता है, इस कारण वनों के खत्म हो जाने से गांव की अर्थ-व्यवस्था चरमरा सकती है।
(घ) शहर (शहरी क्षेत्र) - वनोन्मूलन के होने से शहरों में भी प्रदूषण का स्तर बढ़ जाने की संभावना हो जाती है। शहरों में वाहन आदि का उपयोग बहुत ज्यादा होता है। औद्योगिक कारखाने भी होते हैं जो कि प्रदूषण बढ़ाते हैं। वनों के होने से इस प्रदूषण में कुछ नियंत्रण रहता है। लेकिन जब वन खत्म होने लगते हैं तो यह प्रदूषण और भयानक होता जाता है। इससे शहर के लोगों को स्वच्छ आबोहवा की कमी से जूझना पड़ सकता है, जोकि उनके स्वास्थ्य के लिये जरा भी ठीक नही है।
(ङ) पृथ्वी — वनों का उन्मूलन हमारे पृथ्वी के पर्यावरण को पूरी तरह नष्ट करता है और पृथ्वी के जलवायु चक्र को भी प्रभावित करता है। हमारी पृथ्वी का एक पारिस्थितिकी तंत्र है जिस को संतुलित करने में वन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वनों के उन्मूलन से यह पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ जाता है और पृथ्वी पर अनेक तरह की हानिकारक गैस और प्रदूषण का प्रभाव बढ़ जाता है पृथ्वी के तापमान में बढ़ोत्तरी होने लगती है, प्राकृतिक आपदाओं का कहर बढ़ने लगता है।
(च) अगली पीढ़ी — पृथ्वी पर जो भी वनस्पति हैं, प्राणी है उनके संरक्षण के लिए वनों का होना बहुत आवश्यक है। वन अपने आप में एक बहुत बड़ी संपदा समेटे हुए हैं। यह वन संपदा बहुत ही अनमोल है। अगर यह वन संपदा नष्ट होने लगेगी तो हमारा सारा पर्यावरण भी नष्ट होने लगेगा। ऐसे में हम अपनी अगली पीढ़ी को कुछ अच्छा नहीं दे पाएंगे और आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रदूषण युक्त वातावरण और अव्यवस्थित पर्यावरण देकर जायेंगे। इससे अगली पीढ़ी के लिए जीवन बहुत कठिन होता जायेगा।