वनों तथा जनजातीय लोगों पर बांधों का प्रभावों का वर्णन
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बांध बनाकर नदी के जल को अवरुद्ध कर दिया जाता है। जिससे यह मछलियों के लिये एक अवरोधक के रूप में कार्य करते हैं। मछलियों में नदी के किनारों तथा जल के बहाव के साथ विचरण करने/तैरने की प्रवृत्ति होती है, ऐसे में बांध के अवरोधक के रूप में कार्य करने से उनके प्रजनन एवं विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसका असर उस जल निकाय के समस्त जल-चक्र में परिलक्षित होता है।
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बांध बनाकर नदी के जल को अवरुद्ध कर दिया जाता है। जिससे यह मछलियों के लिये एक अवरोधक के रूप में कार्य करते हैं। मछलियों में नदी के किनारों तथा जल के बहाव के साथ विचरण करने/तैरने की प्रवृत्ति होती है, ऐसे में बांध के अवरोधक के रूप में कार्य करने से उनके प्रजनन एवं विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसका असर उस जल निकाय के समस्त जल-चक्र में परिलक्षित होता है।
अवरुद्ध नदियाँ बांध के बहाव के प्रतिकूल एक जलाशय बनाती हैं, जिनका जल आसपास के क्षेत्र में फैल जाता है। परिणामस्वरूप बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और वहाँ मौजूद पारिस्थितिक तंत्र तथा आवास नष्ट हो जाते हैं। इस तरह की बाढ़ पौधों, वन्यजीवों और मनुष्यों सहित कई अन्य जीवों को या तो नष्ट कर देती है या विस्थापित कर सकती है।
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