वनम्न श्लोक का ह ंदी में अनुिाद वलवखए-
सवििेि स ासीत सविाः कु िीत सङ्गवतम् ।
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न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः ।। नीति में निपुण मनुष्य चाहे निंदा करें या प्रशंसा करें ,लक्ष्मी आये या चली जाये । मृत्यु आज हो या युगों के बाद , परन्तु धैर्यवान
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