History, asked by shikhashikha89086, 5 hours ago

वर्नाकुलर प्रेस एक्ट पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए स्वदेशी आंदोलन क्या था इसके मुख्य नेता कौन-कौन से थे

Answers

Answered by shubhamraj7521
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Answer:

ok dude ☺️

Explanation:

यह उस समय था जब 1878 का वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट पारित किया गया था और उस समय बंगाल में अमृता बाज़ार पत्रिका के लगभग 35 वर्नाक्यूलर पेपर थे, जिसके संस्थापक और संपादक सिसिर कुमार घोष थे।

Answered by gyaneshwarsingh882
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Answer:

Explanation:

अंग्रेज सरकार द्वारा भारत में सन् १८७८ में देशी प्रेस अधिनियम (Vernacular Press Act) पारित किया गया ताकि भारतीय भाषाओं के पत्र-पत्रिकाओं पर और कड़ा नियंत्रण रखा जा सके। उस समय लॉर्ड लिट्टन भारत का वाइसराय था। इस अधिनियम में पत्र-पत्रिकाओं में ऐसी सामग्री छापने पर कड़ी कार्यवाही का प्रावधान था जिससे जनता में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध असंतोष पनपने की सम्भावना हो। वस्तुतः यह कानून भाषाई समाचार-पत्रों को दबाने के लिए लाया गया था। देशी प्रेस अधिनियम पारित होने के अगले दिन ही कोलकाता से बंगला में प्रकाशित अमृत बाजार पत्रिका ने अपने को 'अंग्रेजी दैनिक' पत्र बना दिया। इसके सम्पादक शिषिर कुमार घोष थे।

इस अधिनियम के अन्तर्गत सैकड़ों देशी पत्र-पत्रिकाएँ ज़प्त कर ली गयीं। प्रेसों में ताले डाल दिए गए। स्वदेशवासियों में राष्ट्रीय चेतना जागृत करने के लिए साहित्यकार बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय (1838-1894) ‘आनन्द मठ’ का वन्देमातरम् लेकर आए जो ब्रिटिश शासकों के कोप का कारण बना। मुसलमानों को उकसाकर ‘आनन्दमठ’ की ढेरों प्रतियाँ जला दी गईं (एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका : रमेशचन्द्र दत्त)।

वर्नाकुलर प्रेस एक्ट बहुत बदनाम हुआ तथा इंग्लैंड में सत्ता परिवर्तन के बाद 1882 में लॉर्ड रिपन ने रद्द कर दिया गया और १८६७ वाले पुराने कानून को ही जारी रखा गया।

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