वर्ण के भेद का वर्णन करते हुए उच्चारण स्थान का परिचय दें।
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Answer:
उच्चारण के स्थान के आधार पर वर्गों के भेद । उच्चारण के स्थान को यदि आधार मानें तो वर्णों के अवरोध स्थान मुख्यतः कंठ, मूर्धा, तालु, ओष्ठ और नासिका हैं और इन्हीं के अनुसार इनके भेदों का नामकरण मुख्य रूप से कंठ्य, तालव्य, मूर्धन्य, ओष्ठ्य, कंठ-तालव्य, कंठोष्ठ्य और आनुनासिक्य माने जाते हैं।
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Question
वर्ण के भेद का वर्णन करते हुए उच्चारण स्थान का परिचय दें।
Given
✨किसी भी भाषा में प्रयुक्त होने वाली मूल ध्वनि को वर्ण कहते हैं, वर्णों के समूह या समुदाय को वर्णमाला कहते हैं, हिन्दी वर्णमाला दो भागों में विभक्त है – स्वर और वंजन...
✨हिंदी भाषा में वर्ण दो प्रकार के होते है।- (1)स्वर (vowel) (2) व्यंजन (Consonant)
वर्ण के भेद.....
✨(1) स्वर (vowel) :- वे वर्ण जिनके उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती, स्वर कहलाता है।
इसके उच्चारण में कंठ, तालु का उपयोग होता है, जीभ, होठ का नहीं|
⏩वर्णों का उच्चारण स्थान
– किसी भी वर्ण का उच्चारण मुख द्वारा होता है | जीह्वा (जीभ) मुख के जिस भाग को स्पर्श करती है , उन्हीं स्थानों को वर्णों का उच्चारण स्थान कहते है |
✨
1. कण्ठ
अ, आ
क, ख, ग, घ, ड़
-
ह, अ:
अ, आ
1. कण्ठ
क, ख, ग, घ, ड़
-
ह, अ:
2. तालु
इ, ई
च, छ, ज, झ, ञ
य
श
2. तालु
इ, ई
य
श
3. मूर्द्धा
ऋ, ॠ
ट, ठ, ड, ढ, ण
र
ष
3. मूर्द्धा
ऋ, ॠ
ट, ठ, ड, ढ, ण
र
ष
4. दन्त
लृ
त, थ, द, ध, न
ल
स
4. दन्त
लृ
त, थ, द, ध, न
ल
स
5. ओष्ठ
उ, ऊ
प, फ, ब, भ, म
-
-
5. ओष्ठ
उ, ऊ
प, फ, ब, भ, म
-
-
6. नासिका
-
अं, ड्, ञ, ण, न्, म्
-
-
6. नासिका
-
-
-
7. कण्ठतालु
ए, ऐ
-
-
-
7. कण्ठतालु
ए, ऐ
-
-
-
8. कण्ठोष्टय
ओ, औ
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