वर्ण विच्छेद - आपूर्ति
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आपूर्ति = आ+प्+ऊ+र्+त्+इ
प्रशन - वर्ण विच्छेद - आपूर्ति
उत्तर - अ +आ +प +ऊ+र +त+इ
वर्ण की परिभाषा :- वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं, जिसके खंड या टुकड़े नहीं किये जा सकते। जैसे- अ, ई, व, च, क, ख् इत्यादि।
वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है, इसके और खंड नहीं किये जा सकते। हर वर्ण की अपनी लिपि होती है। लिपि को वर्ण-संकेत भी कहते हैं। हिन्दी में 52 वर्ण हैं।
वर्णमाला- वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं।
हम ऐसे भी कह सकते है, किसी भाषा के समस्त वर्णो के समूह को वर्णमाला कहते है।
प्रत्येक भाषा की अपनी वर्णमाला होती है।
हिंदी- अ, आ, क, ख, ग.....
अंग्रेजी- A, B, C, D, E....
हिंदी वर्णमाला में 16 स्वर है
वर्ण-विच्छेद की परिभाषा :-
वर्ण-विच्छेद यानी वर्णों को अलग-अलग करना । किसी शब्द (वर्णों के सार्थक समूह) को अलग-अलग लिखने की प्रक्रिया को वर्ण-विच्छेद कहते हैं।
सबसे पहले यह जान लेना आवश्यक है कि वर्ण कितने प्रकार के होते हैं?
वर्ण दो तरह के होते हैं -
1) स्वर
2) व्यंजन
इसका अर्थ यह हुआ कि वर्ण-विच्छेद में हमें शब्दों को जो की वर्णों का समूह हैं अलगअलग करना है । इसके लिए हमें स्वरों की मात्राओं (स्वर चिह्न) की जानकारी होना बहुत आवश्यक हो जाता है | वर्ण-विच्छेद करते समय हमें स्वरों की मात्राओं को पहचानना पड़ता है और उस मात्रा के स्थान पर उस स्वर (अ, आ, इ, ई आदि) को प्रयोग में लाया जाता है जिसकी वह मात्रा होती है।
उदाहरण :- निधि शब्द का वर्ण विच्छेद होगा - न् + इ + ध् + इ
कुमार शब्द का वर्ण-विच्छेद किया जाए तो क् + उ + म् + आ + र् + अ होता है |
वर्ण-विच्छेद के कुछ उदाहरण
'अ' स्वर के उदाहरण
कथन = क् + अ + थ् + अ + न् + अ
'आ' स्वर के उदाहरण
पाप = प् + आ + प् + अ
'इ' स्वर के उदाहरण
किताब = क् + इ + त् + आ + ब् + अ
ई' स्वर के उदाहरण
कहानी = क् + अ + ह् + आ + न् + ई
'उ' स्वर के उदाहरण
चतुर = च् + अ + त् + उ + र् + अ
'ऊ' स्वर के उदाहरण
चूक = च् + ऊ + क् + अ
दूर = द् + ऊ + र् + अ
'ऋ' स्वर के उदाहरण
अमृत = अ + म् + ऋ + त् + अ
'ए' स्वर के उदाहरण
खेल = ख् + ए + ल् + अ
'ऎ' स्वर के उदाहरण
बैठक = ब् + ऎ + ठ + अ + क् + अ
तैयार = त् + ऎ + य् + आ + र् + अ
'ओ' स्वर के उदाहरण
सोना = स् + ओ + न् + आ
औ' स्वर के उदाहरण
सौभाग्य = स् + औ + भ् + आ + ग् + य् + अ
संयुक्त व्यंजन के उदाहरण
संयुक्त व्यंजन -
क्ष = क् + ष् + अ
त्र = त् + र् + अ
ज्ञ = ज् + ञ + अ
श्र = श् + र् + अ
क्ष - क्षमा :- क् + ष् + अ + म + आ , त्र - चित्र ;- च् + इ + त् + र् + अ , ज्ञ - ज्ञान :- ज् + ञ + आ + न् + अ , श्र - श्रोता = श् + र् + ओ + त् + आ
अनुस्वार
संबंध : - स् + अ + म् + ब् + न् + ध् + अ
अं का प्रयोग भी अनुस्वार के स्थान पर किया जाता है।
जैसे : - कंपन :- क् + अं + प् + अ + न् + अ
अनुनासिक
साँप :- स् + आँ + प् + अ
'र' के विभिन्न रूप
क्रम :- क् + र् + अ + म् + अ
कर्म :- क् + अ + र् + म् + अ
गुरु :- ग् + उ + र् + उ