वर्ण व्यवस्था के प्रति दयानंद सरस्वति के विचार स्पष्ट कीजिए
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ऋषि दयानन्द जी ने सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ में वर्णव्यवस्था की चर्चा की है । वह कहते हैं कि विवाह वर्णानुक्रम से होने चाहियें और वर्णव्यवस्था भी गुण, कर्म, स्वभाव के अनुसार होनी चाहिये। यह बता दें कि ऋषि दयानन्द ने जन्मना जातीय व्यवस्था को अपने साहित्य में कहीं पर भी स्वीकार नहीं किया है।
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