वर्णमाला के प्रकार लिखिए
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Answer:
स्वर और व्यंजन
Explanation:
two types hai
हिंदी व्याकरण में हिन्दी वर्णमाला को दो भागो में बाटा गया है।
1)स्वर
2) व्यंजन
1) वे वर्ण ,जिनके उच्चारण के लिए किसी दूसरे वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती है या स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण ,स्वर कहलाते है।
हिंदी वर्णमाला में पहले स्वरों की संख्या 14 थी।
हिंदी वर्णमाला में उच्चारण के आधार पर स्वर (Swar) के तीन भेद होते है।
a) ह्रस्व स्वर
b) दीर्घ स्वर
c) प्लुत स्वर
ह्रस्व स्वर – जिस वर्ण के उच्चारण में बहुत कम समय लगे (एक मात्रा का), उसे ह्रस्व स्वर कहते है।जैसे – अ इ उ
दीर्घ स्वर – जिनके उच्चारण में एक मात्रा (ह्रस्व स्वर) का दूना समय लगे, उसे द्विमात्रिक या दीर्घ स्वर कहते है।
जैसे- आ ई ऊ ऋ ए ऐ ओ औ
प्लुत स्वर – जिसके उच्चारण में सबसे अधिक समय (दीर्घ स्वर से भी ज्यादा) लगता है। सामन्यतः इसके उच्चारण में एक मात्रा का तिगुना समय लगता है। जैसे – बाप रे ! रे मोहना !
2) जिन वर्णो का उच्चारण स्वरों की सहायता के विना नहीं हो पाता है ,उन्हें व्यंजन वर्ण कहते है।
जैसे – क (क्+अ)
प्रत्येक व्यंजन अ से मिलकर उच्चारित होता है।
हिंदी वर्णमाला में कोई भी व्यंजन बिना ‘अ’ स्वर के उच्चरित नहीं होता है।
हिंदी वर्णमाला में व्यंजन निम्न 3 प्रकार के होते है।
a) स्पर्श व्यंजन
b) अन्तस्थ व्यंजन
c) ऊष्म व्यंजन
a) जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा फेफड़ो से निकलते हुए किसी विशेष स्थान (कण्ठ्य,तालु,मूर्धा,दन्त एवं ओष्ठ) को स्पर्श करे ,स्पर्श व्यंजन कहलाते है।
जैसे –
व्यंजन – वर्ग
क ख ग घ ङ – क
च छ ज झ ञ – च
ट ठ ड ढ ण ट
त थ द ध न – त
प फ ब भ म – प
(वर्णमाला) में स्पर्श व्यंजन की कुल संख्या 25 है।
b) अन्तस्थ व्यंजन –
जिन वर्णो का उच्चारण वर्णमाला के बीच (स्वर एवं व्यंजन के मध्य) स्थित हो ,अन्तस्थ व्यंजन कहलाते है।
जैसे – अन्तस्थ व्यंजन – य र ल व
c) उष्म/संघर्षी व्यंजन –
जिन व्यंजनों के उच्चारण में हवा मुख में घर्षण /रगड़ती हुई महसूस हो ,उसे उष्म/संघर्षी व्यंजन कहते है।
जैसे – उष्म/संघर्षी व्यंजन – श ष स ह