वर्णन 1x232 i) जिसका मन अपने वश में नहीं वही दूसरे के मन का छन्दावर्तन करता है। (मिश्र वाक्य में)
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वर्णन 1x232 i) जिसका मन अपने वश में नहीं वही दूसरे के मन का छन्दावर्तन करता है। (मिश्र वाक्य में)
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