Environmental Sciences, asked by adityasarode, 4 months ago

४) वर्णविग्रहं कुरुत - गीतानि ।




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Answered by mritunjayy
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हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 4.13)

।।4.13 4.14।।मेरे द्वारा गुणों और कर्मोंके विभागपूर्वक चारों वर्णोंकी रचना की गयी है। उस(सृष्टिरचना आदि) का कर्ता होनेपर भी मुझ अव्यय परमेश्वरको तू अकर्ता जान। कारण कि कर्मोंके फलमें मेरी स्पृहा नहीं है इसलिये मुझे कर्म लिप्त नहीं करते। इस प्रकार जो मुझे तत्त्वसे जान लेता है वह भी कर्मोंसे नहीं बँधता।

हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद

।।4.13।। गुण और कर्मों के विभाग से चातुर्वण्य मेरे द्वारा रचा गया है। यद्यपि मैं उसका कर्ता हूँ तथापि तुम मुझे अकर्ता और अविनाशी जानो।।

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