Social Sciences, asked by Juned5824, 7 months ago

वर्साय की संधि की कोई चार शर्तें लिखिए । आप इसे एक कठोर संधि क्यों मानते हैं ?

Answers

Answered by SamikBiswa1911
13

Answer:

, फ्रान्स, अमेरिका, रूस आदि) के बीच में हुई थी।

प्रथम विश्वयुद्ध के बाद पराजित जर्मनी ने 28 जून 1919 के दिन वर्साय की सन्धि पर हस्ताक्षर किये।[1] इसकी वजह से जर्मनी को अपनी भूमि के एक बड़े हिस्से से हाथ धोना पड़ा, दूसरे राज्यों पर कब्जा करने की पाबन्दी लगा दी गयी, उनकी सेना का आकार सीमित कर दिया गया और भारी क्षतिपूर्ति थोप दी गयी।

वर्साय की सन्धि को जर्मनी पर जबरदस्ती थोपा गया था। इस कारण एडोल्फ हिटलर और अन्य जर्मन लोग इसे अपमानजनक मानते थे और इस तरह से यह सन्धि द्वितीय विश्वयुद्ध के कारणों में से एक थी।

पेरिस शांति सम्मेलन में अनेकानेक संधियों एवं समझौतों का मसविदा तैयार किया गया और उन पर हस्ताक्षर किये गये, लेकिन इन सभी संधियों में जर्मनी के साथ जो वर्साय की संधि हुई वह अनेक दृष्टियों से महत्वपूर्ण है और सभी संधि में प्रमुख है। चार महीने के परिश्रम के बाद संधि का मसविदा तैयार हुआ। 230 पृष्ठों में अंकित यह संधि 15 भागों में विभक्त थी और उसमें 440 धाराएँ थीं। 6 मई, 1919 को यह सम्मेलन के सम्मुख पेश हुई और स्वीकृत हो गयी। 30 अप्रैल को ही विदेश-मंत्री काउन्ट फॉन ब्रौकडौफ रान्टाजु के नेतृत्व में जर्मन प्रतिनिधि-मण्डल वर्साय पहुंचा। प्रतिनिधियों को ट्रयनन पैलेस होटल में ठहराया गया। मित्रराष्ट्रों के अफसर उनकी सुरक्षा की देखभाल कर रहे थे। होटल को काँटेदार तारों से घेर दिया गया था और जर्मन प्रतिनिधियों को मनाही कर दी गयी थी कि वे मित्रराष्ट्रों के किसी प्रतिनिधि या किसी पत्रकार से किसी प्रकार का सम्पर्क रखें। 7 मई को क्लिमेशों ने अन्य प्रतिनिधि-मण्डलों के समक्ष, ट्रयनन होटल में, जर्मन प्रतिनिधि मण्डल के सम्मुख संधि का मसविदा प्रस्तुत किया। इस मसविदे पर विचार-विमर्श करने के लिए उन्हें केवल दो सप्ताह का समय दिया गया।

जर्मनी को किसी भी तरह संधि पर हस्ताक्षर करना ही था। जर्मन राजनीतिज्ञों ने गंभीरता के साथ संधि के मसविदे पर विचार किया और 26 दिनों के बाद अपनी तरफ से साठ हजार शब्दों का एक विरोधी प्रस्ताव प्रस्तुत किया। जर्मनी ने इस बात की शिकायत की थी कि उसने जिन शर्तों पर आत्मसमर्पण किया था, प्रस्तावित संधि में उन सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है। उनका कहना था कि जर्मनी की नयी सरकार पूर्ण रूप से प्रजातांत्रिक है और राष्ट्रसंघ की सदस्यता के लिए इच्छुक है। निरस्त्रीकरण की शर्त केवल जर्मनी पर ही नहीं, अपितु समस्त राज्यों पर लागू की जानी चाहिए। विश्वयुद्ध के लिए एकमात्र जर्मनी को जिम्मेदार ठहराना गलत है। जर्मन प्रस्ताव में यह भी कहा गया था कि संधि की सभी शर्तों को मानना असंभव है। एक बड़े राष्ट्र को कुचलकर तथा उसे गुलाम बनाकर स्थायी शांति स्थापित नहीं की जा सकती।

मित्रराष्ट्रों ने जर्मनी के प्रस्तावों पर विचार किया और कुछ छोटे-मोटे परिवर्तन के बाद जर्मनी को पांच दिनों के भीतर ही संशोधित संधि पर हस्ताक्षर करने को कहा गया। इस बार जर्मनी को यह अवसर नहीं दिया गया कि वह संधि के मसविदे के संबंध में किसी प्रकार का संशोधन या निवेदन प्रस्तुत कर सके। मित्रराष्ट्रों ने स्पष्ट कर दिया था कि हस्ताक्षर नहीं करने का अर्थ जर्मनी पर पुनः आक्रमण होगा। अंत में जर्मन सरकार ने संधि पर हस्ताक्षर करना स्वीकार कर लिये।

Answered by bjaat5623
4

Answer:

May it helps you

Explanation:

प्रथम विश्वयुद्ध के बाद पराजित जर्मनी ने 28 जून 1919 के दिन वर्साय की सन्धि पर हस्ताक्षर किये। इसकी वजह से जर्मनी को अपनी भूमि के एक बड़े हिस्से से हाथ धोना पड़ा, दूसरे राज्यों पर कब्जा करने की पाबन्दी लगा दी गयी, उनकी सेना का आकार सीमित कर दिया गया और भारी क्षतिपूर्ति थोप दी गयी।

may it helps you

Attachments:
Similar questions