वर्ष 1965 में ए.सी.भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद 70 की उम्र
अमेरिका गए। वे “जलदूत” नामक जहाज से अमेरिका
पहँचे। जब जहाज लाल सागर से गुजर रहा था तब उन्हें समुद्री
पीड़ा होने लगी, जिसकी वजह से वो कुछ भी नहीं खा पा रहे
थे। दो दिनों में उन्हें दो बार दिल का दौरा पड़ा और वे सोचने
लगे कि अगर एक और दिल का दौरा पड़ा तो उनकी मृत्यु
निश्चित है। लेकिन वे भयमुक्त थे। दूसरे दिन की रात में उन्हें
भगवान श्री कृष्ण सपने में दिखाई दिए, जो अलग अलग रूप
में जहाज को चला रहे थे, और श्रीकृष्ण ने प्रभुपादसे कहा कि
किसी भी प्रकार काभय नहीं होनाचाहिए।
क. आर्जवं ख. अभयम
ग. शान्तः
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ख. अभयम.................
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