वर्ष 2020 में हमें हर परिस्थितियों से निकलना सिखाया अपने शब्दों में विस्तार पूर्वक लिखें
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वो जो ना आने वाला है ना, उससे हमको मतलब था आने वालों से क्या मतलब, आते हैं आते होंगे जिसके आने की उम्मीद हो, वो ना आए और जिसकी उम्मीद ना हो वो सच हो जाए. ऐसा जिंदगी में अक्सर होता है. ऊपर लिखा जौन एलिया का शेर साल 2020 पर पूरी तरह फिट बैठता है. 31 दिसंबर 2019 को जब आप और हम अपने घरवालों या दोस्तों के साथ मिलकर 2020 के स्वागत की तैयारी कर रहे थे तो सोचा ना था कि साल ऐसा बीतेगा. कोरोना के कारण दुनिया एक बंधन में बंध गई, लाखों लोगों की मौत हो गई. किसी ने अपनों को खोया, किसी ने सपनों को खोया. इन सभी दुखों के बीच बीत रहा साल कई बदलाव लाया और हर अनुभव को जिंदगी में समा कर चला गया. हर बार नए साल की शुरुआत कुछ वादों के साथ होती है, जो हम खुद से करते हैं. वादा ऐसा कि बुरी आदत छोड़ेंगे और अच्छी आदत को अपनाएंगे. वादा ऐसा कि अपनों के साथ रहेंगे, सपनों को सच करेंगे. लेकिन क्या 2020 में ऐसा हो पाया. भले ही दुनिया ने जैसा सोचा हो वैसा कुछ नहीं हुआ, लेकिन ये साल काफी कुछ सिखाने वाला था. कोरोना का काल जब अपने उफान पर था तो हिंदुस्तान ने लाखों लोगों को सड़कों पर देखा, किसी को रोते हुए..किसी को भूखे...किसी की लाश और कोई टूटी हुई आस. इन मुश्किलों के बीच एक अच्छी बात ये थी कि हर जगह कुछ चंद लोग ऐसे भी थे, जो इनकी मदद कर रहे थे. चाहे पानी पिलाना, खाना देना, जगह देना या मदद करना. बुरे वक्त में सिर्फ इंसानियत काम आती है, जो इस साल हिंदुस्तान के हर कोने में दिखाई दी.