वर्षा जल संग्रहण क्या है भारत में इसकी आवश्यकता क्यों है
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वर्षा जल संग्रहण विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा जल रोकने और एकत्र करने की विधि है। इसका उपयोग भूजल भंडार को भरने के लिए भी किया जाता है। यह कम मूल्य और पारिस्थितिकी अनुकूल विधि है जिसके द्वारा पानी की प्रत्येक बूंद संरक्षित करने के लिए वर्षा जल को नलकूपों, गड्ढों और कुओं में एकत्र किया जाता है।
- टॉयलेट में लगी फ्लश की टंकी में प्लास्टिक की बोतल में रेत भरकर रखने से हर बार एक लीटर जल बचाने का कारगर उपाय उत्तराखंड जल संस्थान ने बताया है। इस विधि से जल बचाया जा सकता है।पहले गाँवों, कस्बों और नगरों की सीमा पर या कहीं नीची सतह पर तालाब अवश्य होते थे, जिनमें स्वाभाविक रूप में मानसून की वर्षा का जल एकत्रित हो जाता था। साथ ही, अनुपयोगी जल भी तालाब में जाता था, जिसे मछलियां और मेंढक आदि साफ करते रहते थे और जल पूरे गांव के और पशुओं आदि के काम में आता था। जरूरी है कि गांवों, कस्बों और नगरों में छोटे-बड़े तालाब बनाकर वर्षा जल का संरक्षण किया जाए।
ल्ल नगरों और महानगरों में घरों की नालियों के पानी गड्ढे बना कर एकत्र किया जा सकता है।
- घर की छत पर वर्षा जल एकत्र करने के लिए एक या दो टंकी बनाकर उन्हें मजबूत जाली या फिल्टर कपड़े से ढका जाए तो जल संरक्षण किया जा सकेगा।आज समुद्र के खारे जल को पीने योग्य बनाया जा रहा है, गुजरात के द्वारिका आदि नगरों में प्रत्येक घर में पेयजल के साथ-साथ घरेलू कार्यों के लिए खारेजल का प्रयोग करके शुद्घ जल संरक्षण किया जा रहा है।बड़ी नदियों की नियमित सफाई बेहद जरूरी है। बड़ी नदियों के जल का शोधन करके पेयजल के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
- जंगल कटने पर वाष्पीकरण न होने से वर्षा नहीं हो पाती और दूसरे भूजल सूखता जाता है। इसलिए वृक्षारोपण जल संग्रहण में बेहद जरूरी भूमिका निभाता है।