वर्षा के अन्तर एक दो दिन में हि पृथ्वी के ऊपर
का पानी तो अगोचर हो जाता है, परंत भीतर ही
भीतर उसकी आईता है जैसे बहुत दिन तक बनी रहती है.
तैसे ही उसके अंतरन्तल में वह शीक जाकर बस गया था ।"
पाठ के आधार पर उपर्युक्त पंक्तिणे का अर्थ स्पष्ट किजीए
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