Hindi, asked by jc2532047, 3 months ago

वर्षो के बाद मिलने पर रघु के साथ राजू ने कैसा व्यवहार किया

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Answered by Anonymous
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ही था कि मेल आता दिखा! जाने क्यों, उसमें जीवन से मोह पैदा हुआ और उठ कर भागने को हुआ कि घुटनों के पास से एक पैर खचाक्‌।

यह मरने से ज्यादा बुरा हुआ! बैसाखियों का सहारा और घरवालों की गालियाँ और दुत्कार! एक बार फिर आत्महत्या का जुनून सवार हुआ उस पर! अबकी उसने सिवान का कुआँ चुना! उसने बैसाखी फेंक छलाँग लगाई और पानी में छपाक्‌ कि बरोह पकड़ में आ गई! तीन दिन बिना खाए पिए भूखा चिल्लाता रहा कुएँ में - और निकला तो दूसरे टूटे पैर के साथ!

आज वही ज्ञानदत्त - बिना पैरों का ज्ञानदत्त - चौराहे पर पड़ा भीख माँगता है। मरने की ख्वाहिश ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा! मगर यह कमबख्त। ज्ञानदत्त उनके दिमाग में आया ही क्यों? वे मरने के लिए तो निकले नहीं थे? निकले थे बूँदों के लिए, ओले के लिए, हवा के लिए। उन्होंने नतीजा निकाला कि जीवन के अनुभव से जीवन बड़ा है। जब जीवन ही नहीं, तो अनुभव किसके लिए

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