वर्षा के समय प्रकृति में क्या क्या परिवर्तन होते है?
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कुल चार ऋतु (वर्षा ऋतु ,ग्रीष्म ऋतु वसंत ऋतु तथा शीत ऋतु) में वर्षा को ऋतुओं की रानी कहा गया हैं। वर्षा ऋतु में आसमान के चारों तरफ घटाएं रहती है सड़क नदियां तालाब सभी पानी से भरे रहते हैं। मेंढक की आवाज जोरों से सुनाई पड़ती है। ऐसा लगता है मानो मैं खुशी से झूम रहे हो। वृक्ष पेड़ पौधे सभी में जान आ जाते हैं, उनके ऊपर नई पत्तियां तथा टहनी आ जाती है ।इस ऋतु में मोर अपना पंख फैलाए नाचती है। बादलों की आवाज सदैव सुनाई पड़ती है।
इसी ऋतु पर आधारित एक कविता है की कुछ पंक्तियां कुछ इस प्रकार है।
बाढ़ से ही जलध भूमि निर्यावै।
जथा समय सब बूंदी पावै।
बूंदे आघात शशि कहीं गिरी।
खल के वचन संत स जैसे।
सीमित सीमित जल तलावा।
अर्थात जब वर्षा होती है पृथ्वी के समस्त भाग पानी से भींग जाते हैं।
वर्षा बिजली तथा वज्रपात के साथ होते हैं।
वर्षा के उन छोटी-छोटी बूंदों से बड़े -बड़े तालाब भर जाते हैं।