वर्षा और वर्षण में क्या अंतर है
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➲ वर्षा और वर्षण में अंतर इस प्रकार है...
वर्षण : वर्षण से तात्पर्य उस प्राकृतिक एवं भौगोलिक प्रक्रिया से है, जब जल तरल बूंदो के रूप में या ठोस हिम के कणों के रूप में धरातल पर गिरता है अर्थात जल का बूंदों के रूप में या हिमकणों आदि के रूप में धरातल पर गिरने को ही ‘वर्षण’ कहा जाता है।
जब वायु में संघनन के कारण जलबिंदुओं या हिमकणों पर का भार अत्याधिक हो जाता है, और उनका आकार बड़ा हो जाता है तो वह स्वयं को रोक नहीं पाते और पृथ्वी के धरातल पर गिरने लगते हैं, इसी क्रिया को वर्षण कहा जाता है।
वर्षा : जब जल की तरल बूंदे जो फुहार के रूप में धरातल पर गिरती है, वे बूंदे आकार में थोड़ी बड़ी हो जाती हैं, तो वह ‘वर्षा’ का रूप धारण कर लेती हैं। वर्षण की प्रक्रिया में बड़ी-बड़ी बूँदो को धरती पर गिरना ही वर्षा कहलाता है।
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