वर्ष रुतु पर निबंध लिखिए|
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ग्रीष्म ऋतु के बाद वर्षा ऋतु का आगमन अत्यंत सुखदाई होता है । चारों तरफ वातावरण मनोरम होने लगता है । गर्मी के प्रकोप से प्रकृति का संतप्त कलेवर, नदियों तालाबों का सूखा जल ,झुलसा देने वाली लू तथा पशु - पक्षी और नर-नारी सभी का तप्त तन-मन तब आल्हादित हो उठता हैं जब धरती पर इस तपिश और जलन को दूर करने हेतु वर्षा ऋतु का आगमन होता है । हमारे अन्नदाता किसानों की आँखें आकाश पर इन्ही मेघों की ओर टकटकी लगाए रहती है । जैसे ही बादलों की सेना आकाश में अपनी गड़गड़ाहट लिए तथा दामिनी (बिजली) की दमक लिए आने लगती हैं वैसे ही प्रकृति मुस्कुरा उठती है । ऐसा प्रतीत होता है कि सभी जीव -जंतु , पशु-पक्षी अपनी -अपनी प्राकृतिक ध्वनि के माध्यम से एक मधुर गीत गुंजार करने लगे हैं । मानो संपूर्ण प्रकृति संगीतमय हो उठी है । पृथ्वी का कण- कण वर्षा की पहली बारिश से आप्लावित होकर भीग जाता है । फलत: उससे उठने वाली एक महक प्राणी मात्र के मन को सुकून पहुंचाती है । सभी पेड-पौधे हरे-भरे हो जाते हैं । जल से भरे यह बादल सभी को बहुत सुखदायी लगते हैं । इन बादलों को देखकर कवि की कल्पना उड़ान भरने लगती हैं । युगल प्रेमी मधुर गीत गाने लगते हैं । वर्षा ऋतु का आगमन होते ही चारों ओर हरियाली छा जाती है । किसानों के जीवन में नई आशा का संचार होने लगता है । बिजली की चमक , कारे कजरारे बादल, ठंडी ठंडी पवन अनुपम सौंदर्य के विविध रूपों में बिखर जाती है । चारों ओर पानी ही पानी दिखाई देने लगता है । छोटे-छोटे बच्चे इन पानी की लहरों में कागज की नाव बनाकर अपने बचपन को कृतार्थ कर लेते हैं । वर्षा में भीगकर वे इसका भरपूर आनंद लूटते हैं जिसे शब्दों में बयां करना शायद ही संभव हो ।
वर्षा ऋतु का दूसरा पहलू यह भी है कि जब बारिश रुकने का नाम नहीं लेती तब चारों ओर पानी ही पानी भरने लगता है जिससे लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होती है | किसानों की फसल भी बर्बाद हो जाती है । अतिवृष्टि के कारण आने वाली बाढ़ अपने आसपास के शहरों को नष्ट कर सकती है । ऐसे कई दृश्य देखने में आते हैं जब वर्षा भीषण रूप ले लेती है तब कई इमारतें तथा पेड़- पौधे यहां तक की धरती के टुकड़े भी धंसने लगते हैं । फल स्वरूप जनधन की हानि की संभावना प्रबल हो जाती है । कभी- कभी बादल फटने से भी जान- माल का नुकसान होता है। वर्षा का रौद्र रूप विनाशकारी बन जाता है ।
कुछ भी हो वर्षा जनजीवन के लिए अत्यंत उपयोगी एवं आवश्यक है । यद्यपि यह उचित ही कहा गया है कि" है वसंत ऋतु का राजा ,वर्षा ऋतु की रानी " निस्संदेह वर्षा के अभाव में जीवन संभव नहीं क्योंकि वर्षा नहीं होगी तो सब ओर दुर्भिक्ष (अकाल) पड़ जाएगा और जल के बिना जीवन की कल्पना असंभव है । वर्षा ऋतु प्रकृति में चेतना उत्पन्न करती है और धरती की प्यास बुझाती है । आषाढ़ के महीने में वर्षा ऋतु का आगमन बड़ा ही मनभावन लगता है । साहित्य की कई विधाओं में साहित्यकारों ने इस ऋतु का वर्णन बृहद रूप में किया है । चाहे वह किसी कवि द्वारा उद्धृत छोटी-सी कविता हो या फिर कालिदास रचित महाकाव्य "मेघदूत "हो,आधार रूप में वर्षा ऋतु को स्थान दिया गया है ।
मैं आमतौर पर बारिश के पानी में गीला होने के लिए छत पर शीर्ष मंजिल पर जाता हूं। मैं और मेरे दोस्त बारिश के पानी में गाने गाते और गाते हैं। कभी-कभी हम बारिश करते समय स्कूल या स्कूल बस में जाते हैं और फिर हम अपने शिक्षकों के साथ आनंद लेते हैं। हमारे शिक्षक हमें बारिश के मौसम पर कहानियां और कविताओं बताते हैं जिन्हें हम बहुत आनंद लेते हैं। जब हम घर आते हैं, हम फिर से बाहर जाते हैं और बारिश में खेलते हैं। पूरा वातावरण ग्रीनियों से भरा हो जाता है और यह साफ और सुंदर दिखता है। बारिश के पानी को प्राप्त करके इस धरती पर रहने वाली हर जिंदगी को नया जीवन मिलता है।